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xxiv... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... समवाय का भी आभास हो रहा है। वर्तमान समय की बदलती परिस्थितियों एवं युवा मन में उठती शंकाओं का समाधान करने में साध्वीजी ने अपनी वैचारिक श्रेष्ठता, अनुभव प्रौढ़ता आदि का स्तुत्य परिचय दिया है जिससे स्वाध्यायी वर्ग को विशेष सहायता प्राप्त होगी।
सौम्याजी की यह कृति भव्य जीवों को अपने लक्ष्य की प्राप्ति करवाने में सहायक बने तथा 'अप्पा सो परमप्पा' के पद को सार्थक करते हुए परमोच्च पद पर स्थापित करें यही मंगल कामना हम सभी के लिए।
आर्या शशिप्रभा श्री