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का प्रयोग जिनपूजा में नहीं करना चाहिए।
अष्ट प्रकारी पूजा का बहुपक्षीय अनुशीलन ... 151
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पुष्पों को हमेशा थाली में रखना चाहिए।
• पुष्प एकेन्द्रिय जीव है अतः पुष्पों के प्रति हमारा व्यवहार अत्यंत कोमल एवं विवेकपूर्ण होना चाहिए। उन्हें आर्द्र वातावरण में ही रखना चाहिए । • परमात्मा को चढ़ाने हेतु सुगंधयुक्त, आकर्षक, ताजे, पूर्ण विकसित श्रेष्ठ पुष्पों का चयन करना चाहिए ।
• फ्रीज या कोल्ड स्टोरेज में रखे हुए पुष्पों का प्रयोग पूजा हेतु नहीं करना चाहिए क्योंकि वे पुष्प यद्यपि फ्रिजर के अति शीत वातावरण के कारण मुरझाते नहीं हैं परन्तु उन्हें वहाँ पीड़ा का अनुभव तो होता ही है। इसी के साथ वे बासी भी हो ही जाते हैं। अतः पुष्प खरीदने से पहले इस बात की विशेष जाँचपड़ताल कर लेनी चाहिए।
• पशु-पक्षियों द्वारा चर्वित पुष्प, गंदे कपड़े में लपेटे हुए पुष्प, पावों के नीचे कुचले हुए पुष्पों का प्रयोग जिनपूजा हेतु नहीं करना चाहिए।
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निर्माल्य फूलों को न्हवण जल में नहीं डालना चाहिए।
मन्दिर में लगे हुए बगीचे के पुष्प अन्य कार्यों हेतु प्रयोग नहीं करने
चाहिए।
• मन्दिर के पुष्पों को गृह मन्दिर हेतु लेकर नहीं जाना चाहिए।
धूप पूजा सम्बन्धी सावधानियाँ
• धूप पूजा मूल गर्भगृह के बाहर रंगमंडप में बायीं ओर खड़े रहकर करनी चाहिए।
• लकड़ी की काठी वाली अगरबत्ती धूप पूजा के लिए प्रयोग में नहीं लेनी चाहिए। लकड़ी पर धूप चिपकाने के लिए अशुद्ध प्राणिज पदार्थों का उपयोग होता है तथा लकड़ी का अशुद्ध धुआं भी उसमें मिल जाता है।
• धूप शलाका को जोर-जोर से घुमाना नहीं चाहिए ।
• धूप आदि के धुएँ के कारण जो पीलापन, मंदिर के दरवाजे, घुम्मट, चौखट आदि पर छा जाता है उसे बराबर गीले कपड़े से साफ करते रहना चाहिए।
• धूपपूजा स्वद्रव्य से करनी चाहिए। मंदिर में रखा हुआ धूप जल रहा हो तो अन्य नया धूप नहीं जलाना चाहिए।