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114... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता – मनोविज्ञान एवं अध्यात्म...
समाधान- अष्टप्रकारी पूजा के क्रम में बरास पूजा या केशर पूजा का स्वतंत्र उल्लेख नहीं है। चंदन को अधिक सुगंधि बनाने के लिए बरास एवं केशर मिलाए जाते हैं। मूल अभिप्राय की जानकारी नहीं होने से लोगों ने इसे अलगअलग मान लिया है। सत्रहभेदी पूजा में इनका अलग-अलग उल्लेख है परन्तु अष्टप्रकारी पूजा में नहीं। यदि अंगरचना करनी हो तो बरास का उपयोग किया जा सकता है और वह भी इस प्रकार करना कि प्रतिमा की सुंदरता में अधिक निखार आए। ___ जन्म, दीक्षा आदि कल्याणक के समय अभिषेक करने के बाद परमात्मा का सुगन्धि द्रव्यों से विलेपन किया जाता है। उसी के अनुकरण रूप परमात्मा की चंदन पूजा की जाती है।
चंदन पूजा करने का एक अन्य हेतु यह भी है कि जिस प्रकार चंदन में रही हुई शीतलता बाह्य ताप का नाश करती है वैसे ही परमात्मा की चंदन पूजा
आंतरिक ताप का नाश करती है। ___चंदन पूजा हेतु पूर्वकाल में गोशीर्ष चंदन का उपयोग किया जाता था। वर्तमान में गोशीर्ष चंदन तो उपलब्ध नहीं होता परन्तु उत्तम कोटि के शुद्ध प्राकृतिक चंदन का उपयोग करना चाहिए। मार्केट में उपलब्ध सस्ते, विदेशी या कृत्रिम (Artificial) चंदन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार सिन्थेटिक या मिलावट वाली केशर का प्रयोग भी निषिद्ध है। वर्तमान में उपलब्ध बरास में भीमसेनी बरास को सर्वाधिक शुद्ध एवं सुगन्धित माना जाता है। जर्मनी से आने वाला सिन्थेटिक बरास उपयोग में नहीं लेना चाहिए। चंदन पूजा की पूर्व तैयारी ____चंदन पूजा हेतु उद्यत श्रावक अपने घर से ही केशर, चंदन, बरास आदि साथ लेकर आए। मन्दिर की प्रदक्षिणा एवं तत्सम्बन्धी कर्तव्यों को पूर्ण कर अष्टप्रकारी पूजा से पूर्व चंदन घिसकर तैयार कर लेना चाहिए। चंदन घिसने से पहले आरस (पत्थर) एवं उसके स्थान की प्रमार्जना करके उसे जल से साफ करें। उसके बाद आठ पट्ट का मुखकोश बांधकर चंदन घिसने के स्थान पर सुखासन में बैठ जाएं। शुभ भावों का चिंतन करते हुए दो कटोरियों में चंदन घिसकर तैयार करें। एक कटोरी पूजा के लिए और एक तिलक लगाने के लिए।
चंदन ऐसे स्थान पर घिसना चाहिए जहाँ परमात्मा की दृष्टि न पड़ती हो।