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जिनपूजा - एक क्रमिक एवं वैज्ञानिक अनुष्ठान स्थान ...73 • स्कूल, ऑफिस, मार्केट आदि जाते हुए दर्शन करने वालों के पास जिनपूजा के अतिरिक्त कोई भी सामग्री हो तो उसे मंदिर के बाहर रखकर जाना चाहिए।
• श्राद्ध विधि प्रकरण के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके जब चंद्र स्वर चल रहा हो तब पूजा विधि प्रारंभ करनी चाहिए।
• मंदिर में प्रवेश करने से पूर्व श्रावक के लिए पाँच अभिगम अर्थात विनय स्थान बताए गए हैं। उन पाँच अभिगमों का पालन भी अवश्य करना चाहिए। प्रथम निसीहि की विधि
• जिनमन्दिर के मुख्य द्वार में प्रवेश करने से पूर्व एक बार निसीहि शब्द का उच्चारण सांसारिक समस्त वृत्तियों का त्याग करना चाहिए।
• प्रवेश करते समय आधा झुककर एवं देहलीज पर हाथ लगाकर उसे मस्तक पर लगाने का विधान है। यह परमात्मा के समक्ष दर्शाने योग्य एक प्रकार का विनय है।
• प्रथम निसीहि का उच्चारण करने के बाद मन्दिर सम्बन्धी आदेश आदि की छूट रहती है। अत: श्रावक वर्ग को मन्दिर एवं तद्विषयक कार्यों का पूर्ण निरीक्षण करना चाहिए।
• जिनमन्दिर सम्बन्धी नियमों का पालन एवं संरक्षण आदि करने से अनंतगणा लाभ प्राप्त होता है।
• मन्दिर सम्बन्धी समस्त कार्य आराधक वर्ग को स्वयं करने चाहिए। यदि कर्मचारियों से करवाते हैं तो अत्यंत मृदुतापूर्वक व्यवहार करना चाहिए। घंटनाद करने की विधि
• परमात्मा के मन्दिर में प्रवेश करने के साथ ही सुप्त आत्मा को जागृत करने के उद्देश्य से प्रथम बार घंटनाद करना चाहिए। यह अलार्म के समान जीव को जगाने का कार्य करता है।
• परमात्मा का अभिषेक करते हुए परमात्मा के जन्म की सूचना के अनुकरण रूप दूसरी बार घंटनाद करना चाहिए।
• अष्टप्रकारी पूजा या सम्पूर्ण द्रव्य पूजा सम्पन्न होने पर तीसरी बार घंटनाद करना चाहिए।