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________________ प्रतिक्रमण क्रिया में अपेक्षित सावधानियाँ एवं आपवादिक विधियाँ ... 227 चार लाख तथा मनुष्य के चौदह लाख भेद हैं। इन सबकी गिनती करने पर 8400000 जीव योनियाँ होती है। सूत्रोच्चार करते समय ध्यान में रखने योग्य बातें • पंचांग प्रणिपात सूत्र में, इच्छामि खमासमणो बोलकर रुकना नहीं चाहिए, 'इच्छामि खमासमणो वंदिउँ' इतना एक साथ बोलना चाहिए। इसमें भी उं पर अनुस्वार है इसलिए इसे स्पष्ट बोलने के लिए उ पर भार देना चाहिए। • इरियावहियं सूत्र में पणगदग... मट्टिमक्कडा... इस तरह से न बोलकर, पणग... दगमट्टी... मक्कडा संताणा... इस तरह बोलना चाहिए, क्योंकि पणग अर्थात लीलन, फूलन आदि और दगमट्टी अर्थात गीली मिट्टी है। • अन्नत्थ सूत्र का प्रथम शब्द अन्नत्थ है, अनत्थ नहीं। यहाँ न अक्षर दो हैं, एक नहीं । अन्नत्थ 'सिवाय ' ऐसा अर्थ होता है लेकिन अनत्थ 'अनर्थ' ऐसा अर्थ अभिप्रेत नहीं है। सूत्रों में ऐसे संयुक्त अक्षरों के शुद्ध उच्चारण दो तरीके से हो सकते हैं। एक तो पूर्व के अक्षर को भार पूर्वक बोलने से पीछे का उच्चार संयुक्त अक्षर वाला हो जाता है । अथवा संयुक्ताक्षर के प्रथम व्यंजन को पूर्व के स्वर के साथ बोलें, फिर दूसरा व्यंजन बोलने से भी संयुक्ताक्षर का उच्चार हो जाता है। जैसे कि अन्- नत्-थ । इसी तरह काउस्सग्गो - काउस्सग्गं आदि शब्दों में स और ग दोनों संयुक्त अक्षर है। पच्चक्खामि आदि शब्दों में च्च और क्ख दोनों को संयुक्त अक्षर के रूप में बोलना चाहिए, इसका ख्याल रखें। · - इसी प्रकार नमुत्थुणं में सव्वनूणं बोला जाए तो उसका अर्थ होता है - सर्व से न्यून अर्थात जो अयोग्य है, इसलिए ऐसे न बोलकर सव्वन्नूणं बोलना चाहिए यहाँ व और न दोनों को संयुक्ताक्षर के रूप में बोलना चाहिए। इसका अर्थ है- सर्वज्ञों को जो योग्य है। • अन्नत्थसूत्र में जाव अरिहंताणं में जाव शब्द अरिहंत के साथ संकलित नहीं है, लेकिन आगे आने वाले ताव शब्द के साथ संकलित है। इसलिए जाव... अरिहंताणं इस प्रकार जाव बोलकर थोड़ा रूककर अरिहंताणं कहना चाहिए। उसी तरह आगे भी तावकायं न बोलकर ताव बोलकर थोड़ा रूकें फिर कायं बोलें। सूत्रों में जहाँ भी वंदे, वंदामि, णमो आदि शब्द आते हैं वहाँ शीश •
SR No.006249
Book TitlePratikraman Ek Rahasyamai Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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