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________________ अध्याय-3 प्रतिक्रमण सूत्रों का प्रयोग कब और कैसे? ___ सम्पूर्ण प्रतिक्रमण की आराधना में लगभग 30 से 40 सूत्रों का प्रयोग होता है। प्रत्येक सूत्र का अपना महत्त्व, उद्देश्य एवं रहस्य है। कुछ सूत्र परमात्म भक्ति के हैं तो कोई उनकी गण गरिमा का गुंजन करता है। किसी सूत्र में अतिचारों का वर्णन किया गया है तो किसी में उन दोषों की क्षमायाचना का भाव गुम्फित है। किसी सूत्र के द्वारा गुरु को वंदना की जाती है तो किसी के द्वारा तीर्थों को। छहों आवश्यक में प्रवेश करने के सूत्र भी अलग-अलग हैं। इन सूत्रों का मार्मिक स्वरूप ज्ञात हो जाए तो प्रतिक्रमण की आराधना मोक्ष मार्ग की साधना के रूप में फलीभूत हो सकती है। इसी ध्येय को लक्ष्य में रखकर प्रस्तुत अध्याय में प्रतिक्रमण सूत्रों की प्रयोग विधि एवं उनके विविध पक्षों को उजागर किया जा रहा है। प्रतिक्रमण सूत्रों के शास्त्रीय नाम प्रचलित नाम शास्त्रीय नाम 1. नमस्कार सूत्र पंचमंगल महाश्रुतस्कन्ध सूत्र 2. पंचिंदिय सूत्र गुरु स्थापना सूत्र 3. खमासमण सूत्र थोभवंदन सूत्र एवं प्रणिपात सूत्र 4. इच्छकारी भगवन् सूत्र सुखपृच्छा सूत्र 5. अब्भुट्ठिओ सूत्र गुरु क्षमापना सूत्र 6. ईरियावही सूत्र ऐर्यापथिकी प्रतिक्रमण सूत्र 7. तस्सउत्तरी सूत्र कायोत्सर्ग हेतु सूत्र 8. अन्नत्थ सूत्र कायोत्सर्ग आगार सूत्र 9. लोगस्स सूत्र चतुर्विंशति जिनस्तव, उद्योतकर सूत्र 10. करेमि भंते सूत्र सामायिक ग्रहण सूत्र 11. सामाइय वयजुत्तो सूत्र सामायिक पारण सूत्र 12. भयवं दसण्णभद्दो सूत्र सामायिक पारण सूत्र
SR No.006249
Book TitlePratikraman Ek Rahasyamai Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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