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396... षडावश्यक की उपादेयता भौतिक एवं आध्यात्मिक सन्दर्भ में
86. तह तिविह पच्चक्खाणे, भन्नंति य पाणगस्स आगारा। दुविहाहारे अच्चित्त, भोइणो तह यफासुजले ॥
87. आवश्यक हारिभद्रीय टीका, भा. 2. पृ. 248 88. वही, पृ. 248
89. फासियं पालियं चेव, किट्टिअमाराहिअं चेव,
फासिय
अनुपालियं तीर्थंकरवचनं
सोहियं तीरियं
एरिसयंमी
नाम जदि
नाम
प्रत्याख्यानं
वही गा. 10
तहा । पयइयव्वं ।।
(क) आवश्यकनिर्युक्ति, 1593 सो कालो...
अनुस्मृत्यानुस्मृत्य । पालयियव्वं ॥
(ख) आवश्यकचूर्णि भा. 2, पृ. 314
90. प्रवचनसारोद्धार, 4/212-215
91. प्रत्याख्यानभाष्य, 44-45
92. (क) प्रवचनसारोद्धार, अनु. हेमप्रभा श्री, भा. 1 पृ. 93, 97
(ख) धर्मसंग्रह, भा. 2, पृ. 196, 214
93. (क) पडिक्कमणेणं वयछिद्दाई पिहेइ, पिहियवयछिद्दे पुण जीवे निरूद्धासवे । (ख) पच्चक्खाणेणं आसवदाराइं निरूम्भइ | उत्तराध्ययनसूत्र, 21/12-13
94. वही, 30/5-6
95. जिनवाणी- प्रतिक्रमण विशेषांक, नवम्बर - 2006, पृ. 228-230 के आधार पर
96. पंचाशक प्रकरण, 5/25
97. वही, 5/26
98. (क) पंचाशक प्रकरण, 5/27-30
(ख) प्रवचनसारोद्धार, 4 / 207-210
99. असणं ओयणसत्तुमुग्ग, जगाराइ खज्जगविही य । खीराई सूरणाइ, मंडगपभिई च विण्णेयं ॥
पंचाशक प्रकरण, 5/27
100. पाणं सोवीर जवोदगाइ, चित्तं सुराइगं चेव । आउक्काओ सव्वो, कक्कडग जलाइयं च तहा ॥
वही,
5/28