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342...षडावश्यक की उपादेयता भौतिक एवं आध्यात्मिक सन्दर्भ में
चउवि(हा)हार प्रतिज्ञासूत्र
रात्रि में चारों आहारों का त्याग करने वालों को सूर्यास्त से पूर्व चउविहार का प्रत्याख्यान करना चाहिए।
दिवस चरिमं पच्चक्खामि। चउव्विहपि आहारं-असणं पाणं खाइमं साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ।
अर्थ- दिवस के शेष भाग से दूसरे दिन सूर्योदय तक के लिए-अशन, पान, खादिम, स्वादिम ऐसे चारों आहारों का- 1. अनाभोग 2. सहसाकार 3. महत्तराकार और 4. सर्वसमाधिप्रत्ययाकार- इन आगारों की छूट रखते हुए पूर्णतया त्याग करता हूँ।56 तिवि(हा)हार प्रतिज्ञासूत्र
रात्रि में केवल पानी पीने वालों को सूर्यास्त से पूर्व निम्न प्रत्याख्यान ग्रहण करना चाहिए।
दिवसचरिमं पच्चक्खामि। तिविहंपि आहारं असणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि।
अर्थ- दिवस के शेष भाग से दूसरे दिन सूर्योदय तक के लिए- अशन खादिम एवं स्वादिम- तीनों आहारों का 1. अनाभोग 2. सहसाकार 3. महत्तराकार और 4. सर्वसमाधि प्रत्ययाकार- इन चार अपवादों को छोड़कर सर्वथा त्याग करता हूँ।57 दुवि(हा)हार प्रतिज्ञासूत्र
यह प्रत्याख्यान रात्रि में केवल पानी एवं मुखवास का सेवन वालों को ग्रहण करना चाहिए।
दिवसचरिमं पच्चक्खामि दुविहंपि आहारं-असणं खाइमं अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि । ___ अर्थ- दिवस के शेष भाग से दूसरे दिन सूर्योदय तक के लिए अशन
और खादिम इन दो आहारों का 1. अनाभोग 2. सहसाकार 3. महत्तराकार एवं 4. सर्वसमाधि प्रत्ययाकार- इन चार आगारों को छोड़कर सर्वथा त्याग करता हूँ।58