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________________ 124...षडावश्यक की उपादेयता भौतिक एवं आध्यात्मिक सन्दर्भ में 104. सामायिक श्रितानां समस्त, सावद्ययोग परिहारात । भवति महाव्रतमेषा, मुदयेऽपि चारित्रमोहस्य ।। पुरुषार्थसिद्धयुपाय, 150 105. चारित्रसार, 19/4 106. सर्वार्थसिद्धि, 7/21, पृ. 279 107. अनगारधर्मामृत, 8/36 की टीका 108. रत्नकरण्डक श्रावकाचार, 71 109. मूलाचार, 535 110. वही, 537 111. ज्ञानार्णव, 24/1-30 112. सामायिकसूत्र, उपाध्याय अमरमुनि, पृ. 25 113. सव्वं मे अकरणिज्जं पावकम्मं ति कटु सामाइयं चरित्तं पडिवज्जइ। वही, पृ. 26 114. आवश्यकनियुक्ति, 271 115. दिवसे दिवसे लक्खं, देइ सुवण्णस्स खंडियं । एगो पुण सामाइयं, करेइ न पहुप्पए तस्स ॥ सम्बोधसत्तरि, गा. 24 116. तिव्वतवं तवमाणो, जं न निट्ठवइ जम्मकोडीहिं । तं समभाविअचित्ते, खवेइ कम्मं खणद्वेण ।। 117. जे केवि गया मोक्खं, जेवि य गच्छति । जे गमिस्संति ते सव्वे, सामाइय पभीवेण मुणेयव्वं ॥ 118. अनगार धर्मामृत, 8/36 119. रत्नसंचयप्रकरण, गा. 195 120. अविवेकजसोकित्ती, लाभत्थी गव्वभय नियाणत्थी। संसयरोस अविणओ, अवहु माणए दोसा भणियव्वा ॥ सामायिकसूत्र, संपा. अमरमुनि, पृ. 57 121. कुवयण सहसाकारे, सच्छंद संखेय कलहं च। विगहा विहासोक्सुद्ध, निखेक्खो मुणमुणा दस दो। वही, पृ. 61
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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