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________________ सामायिक आवश्यक का मौलिक विश्लेषण ...107 त्रिस्तुतिक परम्परा में सामायिकग्रहण एवं सामायिकपारण विधि का क्रम इस प्रकार है- • पूर्ववत पुस्तक आदि की स्थापना करते हैं। • फिर ईर्यापथिकप्रतिक्रमण करते हैं। • फिर द्वादशा वर्त रूप दो वांदणा देते हैं। • फिर खमासमणसूत्र पूर्वक सुहराई एवं अब्भुट्ठिओमिसूत्र बोलते हैं। फिर मुखवस्त्रिका प्रतिलेखित कर 'सामायिक संदिसावेमि' 'सामायिक ठामि'- इस आदेश पूर्वक एक बार नमस्कारमन्त्र एवं एक बार 'करेमिभंतेसूत्र' कहते हैं। • पुनः ईर्यापथिक प्रतिक्रमण करके ‘बइसणं' आदि के चार आदेश लेते हैं। फिर अन्त में स्वाध्याय हेतु तीन नमस्कारमन्त्र का स्मरण करते हैं। सामायिकपारण-विधि तपागच्छीय परम्परा के समान ही है।171 स्थानकवासी परम्परा में सामायिकग्रहण एवं पारणविधि निम्नानुसार है• इसमें वस्त्र, भूमि आदि की शुद्धि पूर्ववत समझनी चाहिए। गुरुवन्दनसूत्र के स्थान पर तीन बार तिक्खुत्तोपाठ बोलते हैं, फिर खड़े होकर एक बार नमस्कारमन्त्र बोलते हैं। . उसके बाद एक बार आलोचनासूत्र (इरियावहिपाठ), एक बार तस्सउत्तरी का पाठ, फिर इरियावहि के दो पाठ ध्यान में बोलते हैं। . ध्यान पूर्ण होने पर ‘णमोअरिहंताणं' बोलते हैं।172 • फिर एक बार कायोत्सर्गशुद्धि का पाठ, एक बार उत्कीर्तनसूत्र (लोगस्स का पाठ), एक बार प्रतिज्ञासूत्र (करेमिभंते का पाठ), दो बार शक्रस्तव बोलते हैं। शक्रस्तव कहते समय बायाँ घुटना ऊँचा करके, अंजलिबद्ध दोनों हाथों को उस पर रखते हैं। इतनी विधि सामायिक ग्रहण करते हुए की जाती है। . सामायिक पूर्ण करते समय एक बार नमस्कारमन्त्र, एक बार आलोचनासूत्र (इच्छाकारेणं का पाठ) एक बार तस्सउत्तरी का पाठ बोलकर दो लोगस्ससूत्र का विधिपूर्वक ध्यान करते हैं। • फिर एक बार कायोत्सर्गशुद्धि का पाठ, एक बार लोगस्ससूत्र का पाठ, दो बार शक्रस्तव का पाठ, एक बार समाप्तिसूत्र कहकर तीन नमस्कारमन्त्र बोलते हैं।173 तेरापंथी परम्परा में सामायिकग्रहण एवं पारणविधि लगभग स्थानकवासी आम्नाय के समान ही हैं।174 दिगम्बर परम्परा में सामायिक के पूर्व कुछ क्रियाएँ होती है जैसे कि प्रत्येक दिशा में नौ बार या तीन बार नमस्कारमंत्र का स्मरण करते हैं, फिर इर्यापथ शोधन पूर्वक पूर्वादि क्रम से चारों दिशाओं में तीन आवर्त और एक
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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