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________________ 216...प्रायश्चित्त विधि का शास्त्रीय पर्यवेक्षण करे, तम्बाकू, इलायची, लवंग, सुपारी, चन्द्र जाति के फलों का भक्षण करे, ताम्बूल (पान) आदि पंच सुगन्धी वस्तुएँ खाए, गुरु का संस्पर्श करे, बिना कारण दिन में सोए, वाहन से एक योजन तक जाए, जूते पहनकर एक योजन तक जाए, मधुकरीवृत्ति से आहार ग्रहण न करे, गुरु आदि को अविधिपूर्वक वंदन करे, एक योजन तक नदी आदि को नौका द्वारा पार करे, अल्पमात्रा में पानी में भीगे, रात्रि में एक योजन तक जाए, स्त्रीकथा करे, प्रमादवश स्वाध्याय के समय स्वाध्याय न करे, पैरों से एक योजन तक नदी के मध्य जाए, भोजन मण्डली का पालन न करे और साधुओं को आहार हेतु निमन्त्रित न करे-इन सब दोषों की शद्धि के लिए उपवास का प्रायश्चित्त आता है। • प्रासुककाय (जैसे प्रवाल-पिष्टी) का भक्षण करने पर पुरिमड्ढ का प्रायश्चित्त आता है। • अत्यधिक विकृति का सेवन करने पर नीवि का प्रायश्चित्त आता है। • अहंकार पूर्वक एक भी पंचेन्द्रिय जीव का घात करने पर उस महापाप की शुद्धि बेले के तप से भी नहीं होती है। • सामान्यत: जितने पंचेन्द्रिय जीवों को पीड़ित करें, उतनी ही संख्या में बेले का प्रायश्चित्त आता है। • पुरुष तथा स्त्री का घात करने पर प्रत्येक के लिए दस उपवास का प्रायश्चित्त आता है। • योगोद्वहन करते समय मृषावाद, अदत्तादान और परिग्रहव्रत का भंग करने पर प्रत्येक व्रत के लिए जघन्य से एकासन, मध्यम से आयंबिल और उत्कृष्ट से उपवास का प्रायश्चित्त आता है। • अहंकार पूर्वक इन तीनों व्रतों का भंग करने पर दस उपवास का प्रायश्चित्त आता है। • इन तीनों व्रतों का स्वप्न में भंग होने पर प्रत्येक व्रत के लिए चार लोगस्ससूत्र के कायोत्सर्ग का प्रायश्चित्त आता है। • मैथुन की आकांक्षा करने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है। किन्हीं परिस्थितियों में बेले का प्रायश्चित्त भी आता है। • हस्त मैथुन करने पर बेले का प्रायश्चित्त आता है। • नपुंसक पुरुष, तिर्यंच और स्त्रियों के साथ मैथुन की अत्यधिक इच्छा
SR No.006247
Book TitlePrayaschitt Vidhi Ka Shastriya Sarvekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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