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प्रायश्चित्त विधि का शास्त्रीय अनुसंधान...xill बौद्ध परम्परा में दोनों वर्गों के लिए प्रायश्चित्त दान की परम्परा जैन परम्परा के समान ही देखी जाती है। साध्वी सौम्यगुणाजी ने जैन विधि-विधानों पर शोध कार्य करते हुए इनके रहस्यात्मक पक्षों को उजागर करने का जो प्रयत्न किया है वह अनुशंसनीय एवं अभिवंदनीय है। साध्वीजी के कठिन परिश्रम, आत्म मग्नता एवं सामाजिक निर्लेपता का ही परिणाम है कि आज यह शोध कार्य अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच पाया है।
जैन विधि-विधानों के क्षेत्र में यह रचना एक स्वर्णिम इतिहास रचते हुए ज्ञान पिपासु मुनिजन एवं शोधार्थियों को इस विषय में अध्ययन हेतु अनुप्रेरित करेगी। ___ साध्वीजी इसी प्रकार श्रुत सेवा में संलग्न रहें एवं जैन साहित्य के खजाने को अपने अमूल्य रत्नों से संवर्धित करें यही शुभाशंसा।
डॉ. सागरमल जैन प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर