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16...तप साधना विधि का प्रासंगिक अनुशीलन आगमों से अब तक
• उसके पश्चात चैत्यवन्दन बोलकर एक-एक नमस्कार मन्त्र का चार बार कायोत्सर्ग करते हुए चार स्तुतियाँ कहें। यहाँ सूत्र आदि बोलने की जानकारी गुरु या अनुभवी व्यक्ति से ज्ञात करनी चाहिए।
• तत्पश्चात चैत्यवन्दन मुद्रा में णमुत्थुणसूत्र बोलें। फिर खड़े होकर "शान्तिनाथ स्वामी आराधनार्थं करेमि काउस्सग्गं' कह एक लोगस्ससूत्र का कायोत्सर्ग करें, पूर्णकर निम्न स्तुति बोलें -
श्रीमते शान्तिनाथाय, नमः शान्तिविधायिने । त्रैलोक्यस्यामराधीश, मुकुटाभ्यर्चितां घ्रये ।। • फिर “शान्तिदेवता आराधनार्थं करेमि काउस्सग्गं" पूर्वक अनत्थसूत्र कहकर एक नमस्कारमन्त्र का कायोत्सर्ग करें। पूर्णकर निम्न स्तुति बोलें
शान्तिः शान्तिकरः श्रीमान, शांतिदिशतु मे गुरुः ।
शान्तिरेव सदा तेषां, येषां शान्तिर्गृहे गृहे ।। • तदनन्तर “श्रुतदेवता आराधनार्थं करेमि काउस्सग्गं' पूर्वक अन्नत्थसूत्र कहकर एक नमस्कार मन्त्र का कायोत्सर्ग करें। पूर्णकर निम्न स्तुति बोलें -
सुवर्णशालिनी देयाद्, द्वादशांगी जिनोद्भवा ।
श्रुतदेवी सदा मह्य, मशेषश्रुत संपदम् ।। • तत्पश्चात "भुवनदेवता आराधनार्थं करेमि काउस्सग्गं' पर्वक अन्नत्थसूत्र कहकर एक नमस्कार मन्त्र कायोत्सर्ग करें। पूर्णकर निम्न स्तुति बोलें -
ज्ञानादिगुण युक्तानां, स्वाध्याय ध्यान संयम रतानाम् । विदधातु भुवनदेवी, शिवं सदा सर्व साधुनाम् ।। • तत्पश्चात “क्षेत्रदेवता आराधनार्थं करेमि काउस्सग्गं' पूर्वक अन्नत्थसूत्र कहकर एक नमस्कार मन्त्र का कायोत्सर्ग करें। पूर्णकर निम्न स्तुति बोलें -
यासां क्षेत्र गताः सन्ति, साधवः श्रावकादयः । जिनाज्ञां साधयन्तस्ता, रक्षन्तु क्षेत्रदेवता ।। • उसके बाद “शासनदेवता आराधनार्थं करेमि काउस्सग्गं' पूर्वक अन्नत्थसूत्र कहकर एक नमस्कार मन्त्र का कायोत्सर्ग करें। पूर्णकर निम्न स्तुति बोलें -