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भारतीय परम्पराओं में प्रचलित व्रतों (तपों) का सामान्य स्वरूप... 201 माघ मास के व्रत
धार्मिक दृष्टिकोण से इस मास का अत्यधिक महत्त्व है । इस महीने में दान, स्नान, उपवास और भगवान माधव की पूजा अत्यन्त फलदायी होती है। इस महीने में एक समय भोजन करने से धनवान कुल में जन्म होता है। इस मास में निम्न व्रतों का प्रचलन है
1. मकर संक्रान्ति इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता हुआ उत्तरायण होता है। इस दिन गंगा स्नान, तिल दान, तप-जप, श्राद्ध आदि का विशेष महत्त्व है।
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2. मौनी अमावस्या माघ मास की अमावस्या तिथि के दिन मौन व्रत रखते हुए मुनियों के समान आचरण करते हैं। इसका अत्यधिक महत्त्व माना गया है।
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3. अचला सप्तमी व्रत पुराणों में यह सप्तमी रथ, सूर्य, भानु, अर्क, महती व पुत्र सप्तमी के नाम से विख्यात है। इस दिन सूर्य की आराधना तथा व्रत के रूप में नमक रहित एकासना अथवा फलाहार करते हैं।
4. माघ पूर्णिमा माघ मास में स्नान करने का अत्यन्त महत्त्व है। इस दिन पूरे दिन का व्रत रखते हुए दान - स्नान आदि क्रियाएँ करते हैं।
इस माह में शीतला षष्ठी, षट्लिता एकादशी, बसन्त पंचमी, सूर्य सप्तमी, भीष्माष्टमी, जया एकादशी आदि व्रत करने का भी निर्देश किया गया है।
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फाल्गुन मास के व्रत
1. महाशिवरात्रि व्रत यद्यपि किसी भी मास के की चतुर्दशी कृष्णपक्ष शिवरात्रि कही जाती है, किन्तु फाल्गुन के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी महाशिवरात्रि कहलाती है। इस दिन व्रती उपवास करके बिल्व पत्रों से शिव की पूजा-अर्चना करता है और रात्रि भर जागरण करता है । फलतः भगवान शिव प्रसन्न होकर व्रती को नरक से बचाते हैं और आनन्द एवं मोक्ष प्रदान करते हैं। यह व्रत सभी के लिए अक्षय पुण्य फल देने वाला है। साथ ही नित्य एवं काम्य दोनों कोटियों का है।
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इनके अतिरिक्त जानकी नवमी, विजया एकादशी, आमलकी एकादशी आदि कई अन्य व्रत भी किये जाते हैं। बारह महीनों के अलावा सात वारों से