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जैन धर्म की श्वेताम्बर एवं दिगम्बर परम्परा में प्रचलित तप-विधियाँ...171 __उक्त ग्यारह तप जिनेश्वर परमात्मा द्वारा कहे गये हैं। इनमें योगोद्वहन तप को छोड़कर शेष सभी तप साधु एवं श्रावकों द्वारा करने योग्य हैं। योगोद्वहन तप साधु-साध्वी के लिए ही करणीय है।
. 1. कल्याणक तप 2. ज्ञान-दर्शन-चारित्र तप 3. चान्द्रायण तप 4. वर्धमान तप 5. परमभूषण तप 6. तीर्थङ्कर दीक्षा तप 7. तीर्थङ्कर केवलज्ञान तप 8. तीर्थङ्कर निर्वाण तप 9. ऊनोदरिका तप 10. संलेखना तप 11. सर्वसंख्या महावीर तप 12. कनकावली तप 13. मुक्तावली तप 14. रत्नावली तप 15. लघुसिंह निष्क्रीडित तप 16. बृहसिंह निष्क्रीडित तप 17. भद्रतप 18. महाभद्र तप 19. भद्रोत्तर तप 20. सर्वतोभद्र तप 21. गुणरत्नसंवत्सर तप 22. ग्यारह अंग तप 23. संवत्सर तप 24. नन्दीश्वर तप 25. पुण्डरीक तप 26. माणिक्य प्रस्तारिका तप 27. पद्मोत्तर तप 28. समवसरण तप 29. वीरगणधर तप 30. अशोकवृक्ष तप 31. एक-सौ-सत्तर जिन तप 32. नवकार तप 33. चौदहपूर्व तप 34. चतुर्दशी तप 35. एकावली तप 36. दशविधयतिधर्म तप 37. पञ्चपरमेष्ठी तप 38. लघुपञ्चमी तप 39. बृहत्पञ्चमी तप 40. चतुर्विधसंघ तप 41. धन तप 42. महाघन तप 43. वर्ग तप 44. श्रेणी तप 45. मेरू तप 46. बत्तीस कल्याणक तप 47. च्यवन तप 48. जन्म तप 49. लोकनालि तप 50. कल्याणकाष्टाह्निका तप 51. सूर्यायन तप 52. आचाम्लवर्धमान तप 53. महावीर तप 54. माघमाला तप 55. लक्षप्रतिपत तप।
ये उपरोक्त तप गीतार्थों द्वारा आचरित कहे गये हैं तथा साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका रूप सभी साधकों के द्वारा आचरण करने योग्य हैं।
. 1. सर्वाङ्गसुन्दर तप 2. निरुजशिखा तप 3. सौभाग्यकल्पवृक्ष तप 4. दमयन्ती तप 5. आयतिजनक तप 6. अक्षयनिधि तप 7. मुकुटसप्तमी तप 8. अम्बा तप 9. श्रुतदेवी तप 10. रोहिणी तप 11. मातृ तप 12. सर्वसुखसम्पत्ति तप 13. अष्टापदपावड़ी तप 14. मोक्षदण्ड तप 15. अदुःखदर्शी तप 16. गौतमपडवा तप 17. निर्वाण तप 18. दीपक तप 19. अमृताष्टमी तप 20. अखण्डदशमी तप 21. परत्रपाली तप 22. सोपान तप 23. कर्मचतुर्थ तप 24. लघु नवकार तप 25. अविधवादशमी तप 26. बृहत्नंद्यावर्त तप 27. लघुनंद्यावर्त तप।