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146...तप साधना विधि का प्रासंगिक अनुशीलन आगमों से अब तक
___टीकाकारों ने दूध की मधुरता का वर्णन करते हुए कहा है कि पुण्ड्रेक्षु अर्थात गन्ने के खेतों में चरने वाली एक लाख गायों का दूध पचास हजार गायों को, पच्चास हजार गायों का दूध पच्चीस हजार को, इस क्रम से आधा-आधा करते हुए दो गायों का दूध एक गाय को पिलाने पर उससे निकले हुए दूध द्वारा बना हुआ घी जितना मधुर होता है उससे अधिक वचन माधुर्यता इस लब्धि से मिलती है अथवा जिस लब्धि के प्रभाव से पात्र में आया हुआ स्वाद रहित आहार भी दूध, घी और मधु की तरह स्वादिष्ट एवं पुष्टिकर बन जाता है उसे भी क्षीरमधुसर्पिराश्रवलब्धि कहते हैं।62
20. कोष्ठकबुद्धिलब्धि - जिस प्रकार कोठे में डाला हुआ धान्य बहुत काल तक सुरक्षित रह सकता है उसी प्रकार जिस शक्ति के प्रभाव से सुना हुआ या पढ़ा हुआ सूत्र-अर्थ चिरकाल तक यथावत याद रहता है, वह कोष्ठकबुद्धिलब्धि कहलाती है।63
21. पदानुसारिणी लब्धि - जैसे एक चावल के दाने से पूरे चावलों के पकने का पता चलता है वैसे ही जिस शक्ति के अतिशय से सूत्र के एक पद को सुनकर आगे के बहुत से पदों का ज्ञान बिना सुने ही अपनी बुद्धि से कर लेता है, उसे पदानुसारिणी लब्धि कहते हैं।64
22. बीजबुद्धिलब्धि - जैसे बीज विकसित होकर विशाल वृक्ष का रूप धारण कर लेता है वैसे ही जिस शक्ति के अतिशय से प्रधान (बीज) भूत एक अर्थ को सुनकर अश्रुत अनेक अर्थों का ज्ञान कर लिया जाता है, वह बीजबुद्धि लब्धि कहलाती है।
यह लब्धि गणधरों में प्रमुख रूप से होती है। वे तीर्थङ्कर परमात्मा के मुख से अर्थ प्रधान उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य रूप त्रिपदी को सुनकर अनन्त अर्थों से भरी हुई द्वादशांगी की रचना कर देते हैं।65 .. 23. तेजोलेश्यालब्धि - आत्मा की एक प्रकार की तैजस् शक्ति को तेजोलेश्या कहते हैं। जिस शक्ति के प्रभाव से क्रुद्ध आत्मा में से तैजस् पुद्गल ज्वाला के रूप में बाहर निकलकर उसके लिए अप्रिय एवं अनिष्ट वस्तु या व्यक्ति को भस्म कर सकती है वह तेजोलेश्या लब्धि कहलाती है।
इस शक्ति से कई योजनों पर्यन्त में रही हुई वस्तु को भी भस्म किया जा सकता है। यह तेजोलब्धि आज के अणुबम से अधिक विस्फोटक है। तेजोलेश्या