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________________ 238...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में __ आचार-विचारमूलक क्रियाकलापों एवं साध्वी-समुदाय की आवश्यक गतिविधियों को सफल करने में भी महत्तरा की अहं भूमिका होती है। महत्तरा के सदृश प्रवर्तिनी भी होती है, किन्तु दोनों के अधिकार भिन्न-भिन्न होते हैं। जहाँ प्रवर्तिनी का कार्य वाचना देना, साध्वियों की प्रत्येक क्रियाओं का निरीक्षण करना, उन्हें प्रतिपल सचेत करते रहना एवं उनकी मनःस्थितियों के अनुरूप उन्हें कार्य बताना है वहाँ महत्तरा सुझाव, संरक्षण आदि का ही कार्य करती हैं। जिस प्रकार परकोटा नगर की रक्षा करता है उसी प्रकार महत्तरा साध्वी समुदाय की सुरक्षा का ध्यान रखती है। संक्षेप में कहें तो पद व्यवस्था की दृष्टि से महत्तरा का स्थान प्रवर्तिनी की अपेक्षा उच्च या श्रेष्ठ होता है। यद्यपि प्रवर्तिनी के दायित्व अधिक होते हैं, किन्तु प्रवर्तिनी महत्तरा का प्रतिनिधित्व स्वीकारते हुए अधिकृत दायित्वों को पूर्ण करती है। इससे महत्तरा का गौरव स्वत: सिद्ध हो जाता है। किसी-किसी गच्छ में दीर्घ संयम पर्याय वाली अथवा वृद्धा साध्वियों को भी महत्तरापद देते हैं। कुछ गच्छ में कम दीक्षा पर्याय और तरुणावस्था वाली साध्वी को भी महत्तरापद देने की परम्परा है। सन्दर्भ-सूची 1. पाइयसद्दमहण्णवो, पृ. 676 2. संस्कृत-हिन्दी कोश, पृ. 783 3. आचारदिनकर, पृ. 120 4. वही, पृ. 120 5. वही, पृ. 120 6. (क) स्थानांगसूत्र, संपा. मधुकर मुनि, 4/1/126 (ख) व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र, संपा. मधुकर मुनि, 13/4/3 7. मयहरिया मे णेहपरा धम्मवक्खाणं करेति तेण मे बोधी लद्धा। निशीथभाष्य, उपा. अमरमुनि, 2/1684 की चूर्णि 8. सामाचारीसंग्रह, पृ. 76. 9. सामाचारीप्रकरण, पृ. 28-29
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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