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________________ आचार्य पदस्थापना विधि का शास्त्रीय स्वरूप...161 बनाया जाता है कि चाहे कितनी ही सर्दी हो या गर्मी, आंधी हो या वर्षा, चक्रवर्ती के उस महल पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता उसी प्रकार आचार्य बाह्य वातावरण या परिस्थिति से पूर्णत: अकम्प और अविचल रहते हैं। आचार्य संयम के प्रति पूर्ण निष्ठावान होते हैं। उसी संयम बल के प्रभाव से सम्पूर्ण जिनशासन में उनका एकच्छत्र अनुशासन होता है और युग-युगान्त तक आदर्श के चरम शिखर के रूप में अनुयायियों के दिल में विराजमान रहते हैं। शास्त्रों में इस प्रकार के अनेक उदाहरण हैं जैसे- आचार्य माणिक्यसूरि एक बार जैसलमेर के रेगिस्तानी प्रदेश में विचरण कर रहे थे। विशाल शिष्य समुदाय साथ था। पंचमी का दिन होने से आचार्य ने उस दिन उपवास किया। भयंकर गर्मी का मौसम और ऊपर से उस रेतीले प्रदेश की बरसती प्रचण्ड आग। विहार करते हुए सन्ध्या के समय एक गाँव में पहुँचे। प्यास तीव्र हो उठी और इधर पानी का अभाव। शिष्यवर्ग आसपास दिख रही झोपड़ियों में निर्दोष पानी की गवेषणा में गया। ___आचार्य श्री की प्यास वेदना चरम सीमा पर पहुँच गयी। सूर्यास्त की तैयारी थी। पानी समय पर नहीं मिल पाया और आचार्यश्री ने सूर्यास्त की स्थिति देखकर पूर्ण दृढ़ता और संयम पालन की प्रखरता के साथ चौविहार उपवास के प्रत्याख्यान कर लिए। इधर सूर्यास्त हुआ और उधर से शिष्य-प्रशिष्यों का प्रासुक जल लेकर आना हुआ। ___ शिष्यों के द्वारा पानी ग्रहण हेतु आग्रह किए जाने पर गुरु महाराज ने कहा - ‘सब कुछ बाद में है, मुख्य है मेरा संयम। प्राणान्त हो जाये, इसकी चिन्ता नहीं। शरीर तो वैसे भी अशाश्वत है। अशाश्वत के लिए अपवाद सेवन करना गलत है। मैं अपने महाव्रतों का उल्लंघन नहीं कर सकता।' ओजस्वी और दृढ़ता भरी उस संकल्प युक्त वाणी ने शिष्यों को निरुत्तर कर दिया। इतिहास साक्षी है कि आचार्यश्री का उसी रात स्वर्गवास हो गया, पर आज भी उनकी चारित्रनिष्ठा दीपशिखा की तरह देदीप्यमान है। आचार्यपद की उपादेयता जैन जगत में आचार्य को पूज्यतम स्थान है। उनकी उपादेयता के सम्बन्ध में निम्न बिन्दु उल्लेखनीय हैं -
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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