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138...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में 8. बारसंगो जिणक्खाओ, सज्झाओ कहिओ बहेहि। तं उवइसंति जम्हा, उवझाया तेण वुच्चंति।।
____ आवश्यकनियुक्ति, 997 9. उत्ति उवओगकरणे, वत्ति अ पावपरिवज्जणे होइ। झत्ति आ झाणस्स कए, उत्ति अ ओसक्कण कम्मे।।
आवश्यकनियुक्ति, 999 10. उवगम्म जओऽहीयइ, जं चोवगयमज्झयाविति । जं चोवायज्झाया हियस्स, तो ते उवज्झाया ।
विशेषावश्यकभाष्य, 3199 11. धम्मोवदेस दिक्खा, बओअदेस दिस वायणा गुरवो । एत्थेव उवज्झाओ, गहिओ सुयवायणायरिओ॥
विशेषावश्यकभाष्य, 1818 की कोट्याचार्य वृत्ति, पृ. 393 12. सुत्तत्थतदुभयविऊ, उज्जुत्ता नाण-दंसण-चरित्ते । निफादगसिस्साणं, एरिसया होंतुवज्झाया ।
व्यवहारभाष्य, 956 13. अविदिण्णदिसो गणहरपदजोग्गो उवज्झातो।
दशवैकालिक अगस्त्यचूर्णि, पृ. 15 14. नमो सिद्धाणं पद: समीक्षात्मक परिशीलन, पृ. 242 15. मूलाचार, 4/155-156 की टीका 16. अभिषेक: उपाध्यायः। बृहत्कल्पभाष्य, 6110 की टीका 17. वही, 4338 की टीका 18. व्यवहारभाष्य, 957 19. बृहत्कल्पभाष्य, 1070 की टीका 20. व्यवहारसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 3/3 की टीका 21. स्थानांगसूत्र, स्थान 8 की टीका 22. तिविहो बहुस्सुओ खलु, जहन्नओ मज्झिमो य उक्कोसो। आचारपकप्पे कप्पे, णवम-दसमे य उक्कोसो।
बृहत्कल्पसूत्र, 1/1 23. जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, भा. 6, पृ. 215 24. चारित्रप्रकाश, 115