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________________ 92...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में गणधारण के योग्य शिष्य की परीक्षा विधि भाष्यकार जिनभद्रगणि के अनुसार जो शिष्य गणधारण के योग्य हो उसकी परीक्षा करनी चाहिए तथा उत्तीर्ण होने पर ही गणि-गणधर पद की अनुज्ञा देनी चाहिए।24 भिक्षुआगमकोश के अनुसार परीक्षा के मुख्य बिन्दु निम्न हैं - क्षुल्लक विषयक परीक्षा - गुरु सबसे पहले भावी गणधारण के अनुरूप शिष्य को यह कहे कि तुम इस शैक्ष (नवदीक्षित) की ग्रहणी-आसेवनी शिक्षा द्वारा निर्माण करो। गुरु के इस निर्देश पर यदि वह सोचता है कि यह शैक्ष दीर्घकाल के पश्चात मेरा उपकार करेगा या नहीं? इसे शिक्षित करने पर मुझे क्या लाभ होगा? अथवा पक्षी शावक की भांति इसका पोषण करना कष्टप्रद है? योग्य बनने पर भी मेरा होगा या नहीं, कौन बता सकता है? अथवा इसकी सार संभाल करने से मेरे अध्ययन में व्याघात होगा, यदि ऐसा सोचकर शैक्ष को प्रशिक्षित नहीं करता है तो वह गणधारण के योग्य नहीं है। स्थविर विषयक परीक्षा - किसी वृद्ध मुनि को शासन प्रभावक जानकर गुरु उसे सारण-वारण आदि के उद्देश्य से समर्पित करे, तब यदि वह सोचे कि यह वृद्ध है, पोषण करने पर भी न जाने कब काल कवलित हो जाए? वृद्ध को संभालना मुश्किल है। यदि प्रज्ञाहीन होगा तो इसे शिक्षित करने में सूत्रार्थ की हानि होगी। ऐसा सोचकर स्थविर को शिक्षित न करने वाला भी गणधारण के अयोग्य होता है। तरूण विषयक परीक्षा - पूर्व की भांति तरूण मुनि को सुपुर्द करने पर यदि वह यह सोचे कि यह बुद्धिमान है, बहुत प्रश्न करता है, यह सूत्र-अर्थ में निपुण हो गया तो मेरा प्रतिपक्षी होगा। इसलिए इसे पढ़ाने में खतरा है, ऐसा सोचने वाला भी गणधारण के योग्य नहीं होता है। खग्गूड विषयक परीक्षा - यदि उसे किसी वक्र बुद्धि वाले शिष्य को शिक्षा द्वारा सरल स्वभावी बनाने का निर्देश दिया जाये, तब यदि वह सोचे कि यह तो क्रोधी, अहंकारी, उपद्रवी, प्रतिकूल वर्तनकारी और अविनीत है, इसे ऋजु परिणामी बनाना सहज नहीं। इस प्रकार उसे प्रशिक्षित न करे तो वह भी गणधारण के अयोग्य माना गया है, ऐसे मनि को गणिपद पर स्थापित नहीं करना चाहिए। जो यथार्थ रूप में गणधारण की योग्यता रखता है वह मुनि क्षुल्लक और
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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