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________________ 64...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में • आवश्यकनियुक्ति के निर्देशानुसार जो श्रमण प्रवर्तक द्वारा नियोजित कार्य में समर्थ होते हुए भी शिथिल हो जाता है तो स्थविर उसे पुनः स्थिर करता है। • उत्तराध्ययनटीका में कहा गया है कि जो धर्म में अस्थिर है उनको धर्म में स्थिर करने वाला स्थविर कहलाता है। • कल्पसूत्रटीका के मतानुसार जो स्वयं ज्ञान, दर्शन, चारित्र में स्थिर होता है और दूसरों को उनमें स्थिर करता है, जिसका मन साधना मार्ग से बहुत बार विचलित हो चुका है उसे पुनः साधना में स्थित करता है और जो शिथिल मन वाले मुनियों को उद्यमवन्त बनाते हुए विशेष रूप से संयम में स्थिर करता है वह स्थविर कहलाता है।' • व्यवहारभाष्य में स्थविर का स्वरूप बताते हुए कहा गया है कि स्थविर वैराग्यवान, मृदु और प्रियधर्मा होता है। जो साधु ज्ञान-दर्शन-चारित्र सम्बन्धी किसी भी अनुष्ठान को छोड़ देता है अथवा प्रवर्तक नियुक्त कार्य को शक्ति होते हुए भी खेद चित्त पूर्वक करता है ऐसे मुनियों को स्थविर स्मारणा, प्रेरणा एवं प्रशिक्षण द्वारा पुनः संयम योगों में स्थिर करता है इसलिए वह स्थविर कहलाता है। • प्रवचनसारोद्धार की टीकानुसार जो श्रमण लौकिक एषणा के वशीभूत होकर सांसारिक क्रिया-कलापों में प्रवृत्त है तथा संयम साधना एवं ज्ञानाराधना में कष्ट का अनुभव करते हैं उन्हें इहलोक-परलोक की हानि बताकर संयम-योग में स्थिर करते हैं, वे स्थविर कहलाते हैं। __ सार रूप में समुदायवर्ती एवं सहवर्ती साधु-साध्वियों को संयम धर्म में सम्यक् उपदेश एवं वात्सल्य भाव द्वारा स्थित रखने वाला पदस्थ मुनि स्थविर कहलाता है। स्थविर के मुख्य प्रकार - स्थानांगसूत्र में तीन प्रकार के स्थविर उपदिष्ट हैं, इन्हें तीन स्थविर भूमियाँ कहा गया है। स्थविर भूमि का अर्थ है - स्थविर स्थान और स्थविर काल। व्यवहारभाष्य में स्थविर भूमि, स्थविर स्थान और स्थविर काल (स्थविरअवस्था) को समानार्थी कहा गया है।10 स्थविर के तीन प्रकार निम्न हैं - 1. जाति (वय) स्थविर - साठ वर्ष की उम्र वाला श्रमण जाति स्थविर कहा जाता है। भाष्यकार ने सत्तर और उससे अधिक वर्षों की वय वाले को वयः स्थविर कहा है।
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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