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________________ 350...जैन मुनि की आचार संहिता का सर्वाङ्गीण अध्ययन स्थंडिल भूमि के अन्य प्रकार पूर्व वर्णन से यह स्पष्ट है कि स्थंडिल भूमि दस प्रकार की प्रतिपादित है और उनके 1024 उपभेद बनाये जा सकते हैं किन्तु इनमें 'अनापात-असंलोक' नाम वाला एक प्रकार ही शुद्ध माना गया है। शेष भूमियाँ अशुद्ध मानी गई हैं। ___'अनापात-असंलोक' नामक भूमि भी स्वपक्ष और परपक्ष, मनुष्य और तिर्यंच की दृष्टि से अनेक प्रकार की बतायी गयी है। मुख्यतया ‘अनापातअसंलोक' नाम की स्थंडिल भूमि चार प्रकार की निरूपित है। 1. अनापात असंलोक-जहाँ लोगों का आवागमन न हो और वे दूर से भी न दिखाई देते हों (शुद्ध भूमि भेद रहित)। 2. अनापात संलोक-जहाँ लोगों का आवागमन न हो, किन्तु वे दूर से दिखते हों (अशुद्ध भूमि-संलोक के भेद, प्रभेद तथा दोषों से युक्त)। 3. आपात असंलोक-जहाँ लोगों का आवागमन हो, किन्तु वे दूर से न दिखते हों (अशुद्ध भूमि-आपात के भेद, प्रभेद तथा दोषों से युक्त)। 4. आपात-संलोक-जहाँ लोगों का आवागमन भी हो और वे दूर से दिखते भी हों (अशुद्ध भूमि-आपात और संलोक के भेद, प्रभेद तथा दोषों से युक्त)। पूर्वोक्त चतुर्विध विकल्पों में पहला विकल्प शुद्ध है, शेष तीनों अशुद्ध हैं। इनमें से चौथा विकल्प अशुद्धतम माना गया है। इस विकल्प की व्याख्या करने से अन्य भांगों के गुण-दोष सुगमता से ज्ञात हो जाते हैं। इसलिए यहाँ चतुर्थ विकल्प का विवेचन किया जा रहा है चतुर्थ भंग (विकल्प) आपात-संलोक नाम का है। आपात का अर्थ हैगमनागमन वाला और संलोक का अर्थ है-दूर से आते जाते हुए दिखाई देने वाला। आपात स्वपक्ष युक्त स्थंडिल भूमि 1. आपात स्थंडिल भूमि दो प्रकार की प्रज्ञप्त है 1. स्वपक्ष-संयमी वर्ग के आपात वाली (गमनागमन वाली) भूमि। 2. परपक्ष-गृहस्थ वर्ग के आपात वाली (गमनागमन वाली) भूमि। 2. मुनि वर्ग के आपात वाली स्थंडिल भूमि भी दो प्रकार की निरूपित है 1. संयत-साधु के आपात (गमनागमन) वाली भूमि।
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
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