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258... जैन मुनि के व्रतारोपण की त्रैकालिक उपयोगिता
38. दशवैकालिकसूत्र, 4/12
39. जैन आचार : सिद्धान्त और स्वरूप, पृ. 788 40. सद्भ्यो हितं सत्यम। वही, पृ. 788 41. उत्पादव्ययध्रौव्ययुक्तंसत । तत्त्वार्थसूत्र, 5/29
42. सच्चं लोगम्मिसारभूयं । प्रश्नव्याकरणसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 2/2 पभासकं भवति सव्वभावाणं ।
43. सच्चं .........
वही, 2/2
44. मनस्येकं वचस्येकं, काये चैकं महात्मनाम्। मनस्यन्यद् वचस्यन्यद्, काये चान्यद् दुरात्मनाम्।।
45. ऋग्वेद, 7/104-12
46. सत्येन धार्यते पृथ्वी,
जैन आचार : सिद्धान्त और स्वरूप, पृ. 790
सत्येन तपते रविः । सत्येन वायवो वान्ति, सर्वं सत्ये प्रतिष्ठितम्।।
47. अश्वमेघ सहस्रं च, सत्यं च तुलयाधृतम्। लक्षाणि क्रतवश्चैव, सत्यमेव विशिष्यते ।।
शिवपुराण (उमासंहिता) 24,27
शिवपुराण (उमासंहिता) 29
48. सत्य मूल सब सुकृत सुहाए।
49. बृहदारण्यक उपनिषद्, 5/5/1-2
50. जैन आचार : सिद्धान्त और स्वरूप, पृ. 799 51. वही,
पृ. 799
52. सत्यं स्वर्गस्य सोपान,
रामचरितमानस, भा. 2, पृ. 46
पारावारस्तु - नौरिव ।
महाभारत (उद्योगपर्व), 5/33/46
53. जैन आचार : सिद्धान्त और स्वरूप, पृ. 799
54. (क) प्रज्ञापनासूत्र, संपा. मधुकरमुनि, भाषापद 11/193
(ख) प्रवचनसारोद्धार, 139/890
55. दशवैकालिकसूत्र, आठवाँ अध्ययन
56. (क) दशवैकालिकनियुक्ति, 7/175, पृ. 160