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केशलोच विधि की आगमिक अवधारणा... 147 3. बार-बार खाज खुजलाने से नख द्वारा घाव भी हो सकता है तथा उससे अन्य पीड़ा भी हो सकती है।
4. उस्तरे या कैंची से सिरमुण्डन करने पर संयम की विराधना होती है और मन का शैथिल्य बढ़ता है।
5. नाई के द्वारा केश साफ कराने पर पूर्वकर्म एवं पश्चात्कर्म का दोष लगता है और जिनशासन की अवहेलना होती है।
6. केश बढ़े हुए रहने से साज-शृंगार शोभा आदि के भाव जागृत हो सकते हैं और पूर्व भोगों का पुनर्मरण हो सकता है। ___इस प्रकार केशलुंचन न करने से अनेक दोष उत्पन्न होते हैं। केशलुंचन करने-करवाने वाले मुनि की आवश्यक योग्यताएँ
केशलोच कौन कर सकता है? और केशलोच कौन करवा सकता है ? इस विषय में कहीं कुछ पढ़ने में नहीं आया है।
सामान्यतया केशलुंचन श्रमणाचार का उत्सर्ग मार्ग होने से इस नियम का पालन साधु-साध्वी करते ही हैं तब योग्यता-अयोग्यता का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता इसी कारण तत्सम्बन्धी वर्णन नहीं किया गया हो।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि यदि सामर्थ्य हो तो केशलुंचन स्वयं के द्वारा किया जाना चाहिए। चूंकि तीर्थङ्कर आदि महापुरुषों ने स्वयं ही अपना केश लोच किया था। यदि स्वयं के द्वारा लोच करने का साहस न हो तो अन्य मनियों से लोच करवाया जा सकता है, किन्तु लोच करने वाला मुनि अभ्यस्त, अनुभवी, परिपक्व आदि गुणों से समन्वित होना चाहिए। लोचग्राही की भी यही योग्यताएँ आवश्यक रूप से स्वीकृत रही हैं। लोच करना भी एक कला है। यदि लोच करने वाला मुनि उस कला में निपुण न हो तो लोच करवाने वाले के लिए पीड़ाकारी बन सकता है। इस सन्दर्भ में सामान्य योग्यताएँ अनुभव के आधार पर समझ लेनी चाहिए। केशलुंचन के लिए शुभ दिन का विचार
केशलोच किस दिन किया जाना चाहिए ? केशलोच के लिए कौन-सी तिथि, नक्षत्र, वार शुभ माना गया है ? इस सम्बन्ध में विचार करते हैं तो यह चर्चा यत्किञ्चित रूप से सर्वप्रथम गणिविद्या प्रकीर्णक में प्राप्त होती है। इसमें लोच सम्बन्धी अशुभ नक्षत्रों के साथ लोच क्रिया के लिए उत्तम नक्षत्र भी बताये