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पौषधव्रत विधि का सामयिक अध्ययन ...303 4. चतुःपा चतुर्थादि, कुव्यापारनिषेधनम्। ब्रह्मचर्यक्रियास्नाना, दित्यागः पौषधव्रतम्।।
योगशास्त्र, 3/85 5. अभिधानराजेन्द्रकोश, भा. 5, पृ. 1139 6. ज्ञाताधर्मकथाटीका, 1/1 7. आवश्यकसूत्र, संपा. मधुकरमुनि 6/86-90 8. अभिधानराजेन्द्रकोश, भा. 5, पृ. 1132 9. वही, भा. 5, पृ. 1133-34 10. वही, भा.-5, पृ.-1136 11. पुरूषार्थसिद्धयुपाय, गा.-157 12. सामाइयम्मि उ कए, समणो इव सावओ हवइ जम्हा। एएण कारणेणं, बहुसो सामाइयं कुज्जा।।
श्रावक प्रतिक्रमण-'सामाइय वयजुत्तो' गा.-2 13. जैनसिद्धांतबोलसंग्रह, भा.-5, पृ.-411-412 14. जैन आचार सिद्धान्त और स्वरूप, पृ.-342 15. जैनतत्त्वप्रकाश, पृ.-666 16. उपासकदशा-अभयदेवटीका, पृ.-45 17. रत्करण्डकश्रावकाचार, गा.-106 18. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, गा.-57 19. श्रावकप्रज्ञप्तिटीका, पृ.-321 20. योगशास्त्र, 3/85 21. तत्त्वार्थसूत्र, 7/16 22. सुत्तनिपात, 26/28 23. वही, 26/25-27 24. जैन, बौद्ध और गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक विवेचन
भा.-2, पृ.-298 25. स्थानांगसूत्र, मधुकरमुनि, 4/3/362 26. भगवतीसूत्र, 8/5 27. उपासकदशा, मधुकरमुनि, 1/55