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शोध प्रबन्ध सार ...165
इसकी वैविध्यपूर्ण उपयोगिता इसके प्रचार-प्रसार एवं जनग्राह्यता में सहायक बनेगी। आधुनिक चिकित्सा पद्धति के लिए इसके प्रयोगात्मक परिणाम वरदान रूप सिद्ध होंगे। ___ मुद्रा योग के इस अध्ययन को आगे बढ़ाते हुए खण्ड-18 में हिन्दू मुद्राओं का विवेचन किया है।
खण्ड-18 हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
हिन्दू परम्परा विश्व में सनातन परम्परा के रूप में जानी पहचानी जाती है। प्रागैतिहासिक काल से इसके अस्तित्व के प्रमाण प्राप्त होते हैं। यह एक अध्यात्म प्रधान संप्रदाय है।
प्रत्येक धर्म संप्रदाय का प्राण तत्त्व होती है उसकी पूजा-उपासना पद्धति। विविध स्थानों एवं हजारों लोगों के आचरण में एकरूपता रखने हेतु अनेक नियमबद्ध विशिष्ट प्रक्रियाएँ निर्दिष्ट है। इस विधि प्रक्रिया में मुद्रा प्रयोग का स्वतंत्र स्थान है। ___ हिन्दू परम्परावर्ती विविध धार्मिक अनुष्ठान जैसे कि सूर्य नमस्कार, मंत्र स्नान, पूजा, हवन आदि में अनेकशः मुद्राओं का प्रयोग होता है। परंतु अधिकांश आर्यवर्ग इसकी प्रयोग विधि एवं परिणाम आदि से अनभिज्ञ हैं। कई लोग मात्र पूर्व परम्परा के अनुकरण रूप अथवा देखा-देखी क्रियाओं का अंधानुकरण करते हैं। संभवतः इसी कारण आध्यात्मिक साधनाओं का यथोचित परिणाम प्राप्त नहीं होता। गीता, महाभारत आदि ग्रन्थों में भगवान श्रीकृष्ण, मर्यादा प्रतिपालक श्रीराम आदि अवतार पुरुषों द्वारा मुद्राओं को धारण करने का उल्लेख है। देवी-देवताओं के विषय में भी अनेक मुद्राओं का वर्णन मिलता है।
हिन्दू धर्म में मुद्राओं की ऐतिहासिकता एवं प्रयोग सुसिद्ध है। हिन्दु धर्म के ग्रन्थों में भी अनेक स्थानों पर मुद्रा प्रयोग के उल्लेख प्राप्त होते है। हिन्दू अर्थात वैदिक परम्परा एवं श्रमण परम्परा में निकटतापूर्ण संबंध रहे हैं। कई क्रियाओं में दोनों पर एक दूसरे का प्रभाव परिलक्षित होता है। कई मुद्राएँ दोनों परम्पराओं में