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महाकवि भानसागर के संस्कृत-प्रन्थों में कलापक्ष (ख) निमासमागमवक्रवन्ध
"निजनायकमवलोक्य तमागतमेका यावद्रामा, सातवतीहोस्थितासनत: परिधानमतिविरागम् । संहर्षवशात्पादयोनंतं अपनपीठमभिरामम्, मंक्षुषिनिह्नवशालि च समदान्माहात्म्यगतारामम् ॥"
-जयोदय, १४।१०८
ORRIEबया
SLEERUT
प्रस्तुत चाबन्ध में विद्यमान अरों के प्रथम अक्षरों को पढ़ने से 'नियासमागम' शब्द निकलता है, जो इस बात की भोर संकेत करता है कि इस सर्ग में रापिकातीव शोभा का वर्णन किया गया है।