SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 379
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महामासागर के संस्कृत-मन्त्रों में कलापन संसार की परिवर्तनशीलता के सम्बन्ध में कविको रुपमा देखिए"किमु भवेहिपदामपि सम्पदा भुवि शुचापि रुचापि जगत्सदा । करतलाहतकन्दुकवत्पुनः पतनमुत्पतनं च समस्तु नः ॥" -जयोदय, २५॥१. (इस संसार में कभी विपत्ति पोर कभी सम्पत्ति का पावागमन होता रहता है। यह संसार शोक मोर प्रसन्नता से युक्त रहता है । जिस प्रकार हाथ से मापात करने पर गेंद उठती भोर गिरती है उसी प्रकार संसार में भी भाग्यवशाद पतन पोर उत्थान होता रहता है।) प्रस्तुत श्लोक में गेंद के गिरने उठने से संसार के पतन पोर उत्थान की सुन्दर उपमा दी गई है। गेंद उपमान है और भाग्य उपमेय । पतन-उत्थान साधारण पर्म हैं। 'बत्' शब्द उपमावाचक है । प्रब कषि को एक ग्लिष्ट उपमा प्रस्तुत है"सालद्वारा सुवर्णा च सरसा चानुगामिनी। कामिनीव कृतिलॊके कस्य नो कामसिद्धये ।।" -जयोदय, २६६२ (इस लोक में उपमादि मलङ्कारों से सुसज्जित, सुन्दर वर्ण-विन्यास वामी, शुङ्गारादि रसोपेत, छन्दोबद्ध कवि की कृति, कुण्डल हारादि मलङ्कारों से सुशोभित, पच्छे रङ्ग पाली, सरस चेष्टामों वाली, पति को अनुगामिनी के समान किसकी बांधा पूरी नहीं करतो?) प्रस्तत श्लोक में कविकृति उपमेय मोर कामिनी उपमान है। सासारा, सुवर्णा, सरसा पोर भनुगामिनी इत्यादि विशेषण कविकृति भोर कामिनी. दोनों के पक्ष में श्लेष के माध्यम से प्रयुक्त किये गए हैं। 'इव' उपमा वाचक क्षम है। रानी प्रियकारिणी के वर्णन में कवि को मालोपमा देखिये"त्येव धर्मस्य महानुभावा शान्तिस्तथाभूतपसः सदा वा। पुण्वस्य कल्याणपरम्परेवाऽसो तत्पदापीनसमर्थसेवा ॥" -वीरोदय, ३१६ (उतार मावों वाली वह रानी धर्म की दया के समान, तप की क्षमा समान, पुण्य की कल्याण परम्परा के समान राजा के चरणों में रहती हुई उसकी पूर्ण सामर्दी से सेवा करती थी।) . प्रस्तुत श्लोक में दवा क्षमा मोर कल्याणपरम्परा रानी के उपमान रूप में प्रस्तुत किये गये है, इसलिए यहाँ पर मालोपमा प्रसार है।
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy