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________________ 45 इनके द्वारा रचित २९ ग्रन्थों की संक्षिप्त समीक्षा यहाँ प्रस्तुत : 1. जयोदय महाकाव्यम् 卐 यह महाकाव्य रस अलंकार एवं छन्द की त्रिवेणी से पवित्रता को प्राप्त है। साहित्य, दर्शन एवं आध्यात्मिक शैली में देश की ज्वलंत समस्याओं का निराकरण करता है। इस युग के आदि तीर्थकर ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र प्रथम चक्रवर्ती सेनापति जयकुमार के चारित्रिक जीवन की सरस कथा के आश्रय पूर्वक इस काव्य की रचना हुई है । इस काव्य में श्रृंगार रस और शान्तरस की समानान्तर प्रवहमान धारा पाठकों को अपूर्व रस से सिक्त कर देती है । जयकुमार और सुलोचना की प्रणय कथा का प्रस्तुत वर्णन नैषधीय चरित्र एवं कालिदास के काव्यों को स्मरण दिला देता है । इस काव्य का प्रकृति चित्रण माघ के काव्यों की तुलना करने के लिए प्रेरित करता है । इस महाकाव्य रूपी सागर की तलहटी साहित्य है तो दर्शन उसके किनारे और रस- अलंकार आदि की छटा अपार जल राशि के रूप में दृष्टिगोचर होती है एवं अहिंसा, सत्य, अचौर्य, अपरिग्रह एवं ब्रह्मचर्य आदि आचरणपरक अनेक सूत्र रूपी रत्नों का भण्डार इस जयोदय महाकाव्य रूप सिन्धु में भरा पड़ा है । साहित्य जगत में 20वीं शताब्दी का सर्वोत्कृष्ट महाकाव्य तो है ही साथ ही जैन दर्शन में 14वीं शताब्दी के बाद का प्रथम महाकाव्य भी है । इस महाकाव्य में 3047 श्लोक 28 सर्गों में है । संस्कृत और हिन्दी टीका सहित दो भागों में (पूर्वार्द्ध एवं उत्तरार्द्ध) इसका प्रकाशन किया गया है । यह महाकाव्य महाकवि आचार्य ज्ञान सागर महाराज ने दीक्षा के पूर्व लिखा था, जब आपका नाम ब्रह्मचारी पंडित भूरामल शास्त्री था । 2. वीरोदय महाकाव्यम् यह महाकाव्य जयोदय महाकाव्य के समान ही रस- अलंकार एवं शब्दों से परिपूर्ण है । इसे जयोदय महाकाव्य का अनुज कह सकते हैं । दिगम्बर जैन दर्शन के अन्तिम तीर्थंकर भगवान महावीर के जीवन चरित्र का सांगोपांग वर्णन किया है । भगवान महावीर के जीवन चरित्र को देश की आधुनिक समस्याओं के निराकरण को ध्यान में रखते हुए आधुनिक शैली में वर्णन किया है । गया , फ्र 994 श्लोक वाला यह महाकाव्य 22 सर्गों में विभाजित है । छः सर्गों पर स्वोपज्ञ संस्कृत एवं एवं समस्त सर्गों पर स्वोपज्ञ हिन्दी टीका सहित प्रकाशित है।
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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