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________________ काम्यत्रीय विधाएँ 'बोरोदय' में तीन संवाद देखने को मिलते हैं-(क) रानी प्रियकारिणीराजा सिद्धार्थ का संवाद,' (ब) रानी प्रियकारिणी-देवी-संवाद, और (मे) राजा सिवा-वर्डमान-संवाद । 'वीरोदय' में एक स्थल पर देवगणों को यात्रा का वर्णन है। इसके अतिरिक्त कवि ने देवालय प्रौर समवसरण-मण्डपका भी वर्णन. अपने इस काव्य में किया है। काव्य में भगवान् के पूर्वजन्मों का वर्णन भी विस्तार से किया गया है। काम के उपसंहार में परिणत जैन-धर्म एवं दर्शन कवि को सच्चा जननामिक सिब करने में समर्थ है। . उपर्युक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि धीरोदय' में विषिषस्थलीय-वर्णन और वृत्तान्त-पर्सन मिलते हैं। ये सब वर्सन कवि की सूझ-बूझ के परिचायक है। कवि मेयपाशविक प्रकृति-वर्णन पोर नगर-वर्णन भी अपने इस काव्य में किया है। .. 'होय' में हमें इंगाररस, अदभुत रसवात्सल्य-माव'' और भक्ति. मा की बटा पत्र-सन देखने को मिलती है। लेकिन अंगीरस का स्थान 'शान्त-रस को ही प्राप्त है।'३ शेष रस एवं भाव इस रस के अंग ही हैं। .. ८. बीरोदय' पंचसन्धियों की रष्टि से सरल काव्य है। काव्य के प्रथम सर्ग में बीरमनवान् के जन्म का उल्लेख है, यह काव्य की मुखसन्धि है । इसके पश्चात १.. बीरोग्य, ४१३४६१ २. वही, २२७-३४ १. वही २१२२-४६ . ४.. बही, ६-१२ . ५. वही, २२३३-३४ . ६. वही, १३॥१-२५. ७. वही, १५वा सर्ग ५. वही, १६वा सर्ग १८वा सर्ग, १९वा सर्ग पोर या सर्व १०. ही, ६।१० ११. वही, ८७,४६ १२. 'बही ४१६३ १३. वही, नवम सर्ग और दशम सर्ग १४. वही, पर
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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