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की महिमा कितनी अनुपम है कि इन्द्रभूति गौतम कहां तो भगवान् - से लड़ने आया था और कहां भगवान् का प्रथम गणधर बन गया । ऐसा
यह भव्य मानस्तम्भ इस क्षेत्र पर निर्माण किया जा रहा है । 6. तलहटी जिनालय - इस जिनालय में वृताकार प्रथम मंजिल पर प्रवचन हाल रहेगा । दूसरी मंजिल पर भगवान् बाहुबलि, तीसरी पर भरत और
चौथी पर ऋषभदेव भगवान् की प्रतिमायें विराजमान होंगी । 7. 18 दोषों से रहित तीर्थङ्कर अरिहंत भगवान के द्वारा उपदेश देने की
सभा को समवशरण कहते हैं इसकी रचना कुबेर द्वारा होती- देव, मनुष्य एवं तिर्यञ्चों की 12 सभाएं होती है । भव्य जीव ही इस समवशरण में प्रवेश करते हैं । ऐसा यह भव्य जीवों का तारण हार समवशरण भी इस क्षेत्र पर स्थापित किया जा रहा है । संतशाला - क्षेत्र हमेशा से साधु सन्तों के धर्म ध्यान करने के आवास स्थान रहे हैं । इस क्षेत्र पर भी आचार्य विद्यासागरजी आदि महाराज जैसे महासन्त संघ के साथ भविष्य में यहां विराजमान होंगे एवं अन्य आचार्य साधुगण वन्दनार्थ, साधनार्थ विराजमान रहेंगे । उनकी साधनानुकूल सन्त
वसतिका बनाने का निर्णय लिया गया है । 9. गौशाला - वर्तमान में मानव स्वार्थ पूर्ण होता चला जा रहा है । इसी
कारण से गाय, बैल, भैंस आदि जब इसके उपयोगी नहीं होते अथवा दूध देना बन्द कर देते हैं तब व्यक्ति उनकी सेवा सुश्रुसा नहीं करके उनको कसाई अथवा बूचड़खाने में भेज देता है । ऐसे आवारा पशुओं को इस क्षेत्र में रख कर उनके जीवन को अकाल हत्या से/ मरण से बचाया जावेगा। यह क्षेत्र समवशरण है और समवशरण में एक सभा तिर्यञ्चों की होती हैं । अतः यह गौशाला है इस क्षेत्र रूपी समवशरण में एक सभा के रूप में प्रतिष्ठित होगी इस दिगम्बर जैन ज्ञानोदय तीर्थ क्षेत्र गौशाला का शिलान्यास श्री भैरूसिंह शेखावत, मुख्य मंत्री राजस्थान सरकार द्वारा किया
गया है । 10. ज्ञानशाला (विद्यालय) - मानवीय दृष्टिकोण से विचारने पर जीवन
का एक आवश्यक अंग आजीविका भी है । इस आजीविका को कार्यान्वित रूप देने के लिये मनुष्य को लौकिक व शाब्दिक ज्ञान की भी आवश्यकता