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शिष्य परम्परा में रहे हों। फिर भी इतना अवश्य कह सकते हैं कि गर्दभिल्ल या गार्दभि एक ऐतिहासिक ऋषि रहे होंगे और सम्भवतः ये औपनिषदिक काल के ही ऋषि होंगे।
23 रामपुत्त ऋषिभाषित185 के 23वें अध्याय में रामपुत्त के उपदेशों का संकलन है। सूत्रकृताङ्ग186, स्थानाङ्ग187 और अनुत्तरोपपातिक188 में भी इनका उल्लेख मिलता है। सूत्रकृताङ्ग189 में उनका उल्लेख असित देवल, नमि, नारायण, बाहुक, द्वैपायन, पाराशर आदि के साथ हुआ है और इन्हें निर्ग्रन्थ प्रवचन में मान्य (इह सम्मता) कहा गया है और बताया गया है कि इन्होंने आहार आदि सेवन करते हुए मुक्ति प्राप्त की। ज्ञातव्य है कि सूत्रकृताङ्ग की कुछ मुद्रित प्रतियों एवं शीलाङ्क की टीका में रामगुत्त पाठ भी मिलता है, किन्तु यह पाठ अशुद्ध है। सूत्रकृताङ्गचूर्णी में जो 'रामाउत्ते' पाठ है वही शुद्ध है और उसका संस्कृत रूप 'रामपुत्र' बनता है। इस सम्बन्ध में पं. 'बेचरदास दोशी स्मृतिग्रन्थ' में मेरा और प्रो. एम.ए. ढाकी का एक लेख प्रकाशित है, जिसमें यह सिद्ध किया गया है कि रामाउत्ते यह पाठ क्यों शुद्ध है। सूत्रकृताङ्ग के अतिरिक्त स्थानाङ्ग की सूचना के अनुसार अन्तकृत्दशा की प्राचीन विषय वस्तु में एक रामपुत्त नामक अध्ययन था, जो वर्तमान अन्तकृत्दशा में अनुपलब्ध है। संभवतः इस अध्याय में रामपुत्त के जीवन एवं उपदेशों का संकलन रहा होगा। इसके अतिरिक्त अनुत्तरोपपातिक के तीसरे वर्ग का छठा अध्याय भी रामपुत्त से सम्बन्धित है। यहाँ इन्हें साकेत निवासी और महावीर का समकालीन कहा गया है। किन्तु यह एक भ्रान्ति है। इन दोनों तथ्यों के अतिरिक्त उसमें उपलब्ध अन्य विवरणों की प्रामाणिकता के सम्बन्ध में कहना कठिन है। सूत्रकृताङ्ग और ऋषिभाषित दोनों से ही यह सिद्ध हो जाता है कि रामपुत्त मूलतः निर्ग्रन्थ परम्परा के नहीं थे, फिर भी उसमें उन्हें सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त था।
बौद्ध परम्परा में भी हमें रामपुत्त का उल्लेख मिलता है। पालि त्रिपिटक190 के उल्लेखों के अनुसार इनका पूरा नाम उद्दक रामपुत्त था। ये बुद्ध से आयु में बड़े थे। प्रारम्भ में बुद्ध ने इनसे ध्यान-साधना की शिक्षा ली थी, किन्तु जब बुद्ध ज्ञान प्राप्त कर, इन्हें योग्य पात्र जानकर उपदेश देने जाने को तत्पर हुए तो उन्हें ज्ञात हुआ कि इनकी मृत्यु हो चुकी है। इस प्रकार ये महावीर और बुद्ध के ज्येष्ठ समकालीन थे। पालि त्रिपिटक से यह भी ज्ञात होता है कि इनकी योगसाधना की
76 इसिभासियाई सुत्ताई