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45. पणयालीसं वेसमणिज्जज्झयणं
अप्पं च आउं इह माणवाणं सुचिरं च कालं णरएसु वासो। सव्वे य कामा णिरयाण मूलं
को णाम कामेसु बुहो रमेज्जा ?।।1।। 1. यहां मनुष्यों की आयु अल्प है और नरक में सुदीर्घ काल तक निवास होता है। समस्त काम-वासनाएँ नरकवास का मूल हेतु हैं। अतः कौन बुद्धिमान् इन वासनाओं में रमण करेगा?
1. Human beings are shortlived on earth while a stay in inferno is marked by an existence lasting aeons. While desires and passions lead to hell, what ails a wise man that he would indulge in passion and desire?
पावं ण कुज्जा, ण हणेज्ज पाणे अतीरसे व रमे कदायी। उच्चावएहिं सयणासणेहिं
वायु व्व जालं समतिक्कमेज्जा।।2।। वेसमणेणं अरहता इसिणा बुइतं।
2. न पाप करे, न प्राणियों की हिंसा करे, न स्वादिष्ठ षट्रस भोजन में .. आसक्त होवे और न कदापि उच्च-नीच शयनासनों में प्रसन्नता अनुभव करे, अपितु जिस प्रकार वायु जालों को उड़ा देती है उसी प्रकार मुमुक्षु इन सब का अतिक्रमण कर दे। अर्थात् वायु की तरह अप्रतिबद्ध रहे।
ऐसा अर्हत् वैश्रमण ऋषि बोले।
2. Let the aspirant avoid sin and violence and have an utter indifference to delectable viands and soft mattresses. Such a one listeth as the wind bloweth, said Vaishraman, the seer.
जे पुमं कुरुते पावं, ण तस्सऽप्पा धुवं पिओ। अप्पणा हि कडं कम्मं, अप्पणा चेव भुज्जती।।3।।
45. यम अध्ययन 423