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33. तेत्तीसं अरुणनामज्झयणं
दोहिं ठाणेहिं बालं जाणेज्जा, दोहिं ठाणेहिं पण्डितं जाणेज्जा
सम्मामिच्छापओतेणं, कम्मुणा भासणेण य। दो स्थानों-कारणों से मानव का बाल (अज्ञानी) रूप जाना जाता है और दो कारणों से मानव का पण्डितरूप जाना जाता है। (शक्ति का) सम्यक् प्रयोग और मिथ्या प्रयोग तथा कर्म-कर्तव्य और वाणी (भाषण) से।
It is apt or inopportune use of power and similar use or abuse of speech, that distinguish the wise from the foolish.
दुभासियाए भासाए, दुक्कडेण य कम्मणा।
बालमेतं वियाणेज्जा, कज्जाकज्जविणिच्छए।।1।। 1. अशिष्ट वाणी, दुष्कृत्य कर्म तथा कर्तव्य-अकर्तव्य के विनिश्चय (विवेक शून्यता) के माध्यम से मानव को बाल-अज्ञानी जानो।
1. One, prone to indecent speech and wrong and indiscreet action, is termed an ignorant man.
सुभासियाए भासाए, सुकडेण य कम्मुणा।
पण्डितं तं वियाणेज्जा, धम्माधम्मविणिच्छये।।2।। 2. सभ्यभाषा, सुकृत कर्म तथा धर्म-अधर्म के विनिश्चय द्वारा मानव को पण्डित समझो।
2. Courteous language, appropriate action and spiritual wisdom are marks of wise man.
दुभासियाए भासाए, दुक्कडेण य कम्मुणा।
जोगक्खेमं वहन्तं तु, उसुवायो व सिंचति।।3।। 3. जो असभ्य भाषा और निन्दनीय कर्मों के द्वारा योगक्षेम (अप्राप्त वस्तु की प्राप्ति और प्राप्त का रक्षण) को धारण करना चाहता है, तो वह (बाल) मानो ईख का वायु से सिंचन करता है।
3. One who resorts to indecorous utterance and unworthy action to fulfil his purpose and protect his interests is like a cultivator who nurtures sugarcane crop with wind instead of water.
378 इसिभासियाई सुत्ताई