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28. अट्ठावीसं अद्दइज्जज्झयणं
छिण्णसोते भिसं सव्वे, कामे कुणह सव्वसो । कामा रोगा मणुस्साणं, कामा दुग्गतिवड्ढणा । । 1 । ।
1. मुमुक्षु समस्त काम-वासनाओं के प्रवाह का पूर्णरूपेण छेदन कर दे। क्योंकि, मानव के लिये समस्त काम- - वासनाएँ रोग हैं और दुर्गति को बढ़ाने वाली हैं।
1. An aspirant should forever discard the ingress of desires. All desires are ailments and conduce to wretched destiny.
णासेवेज्जा मुणि गेही, एकन्तमणुपस्सतो ।
कामे कामेमाणा, अकामा जन्ति दोग्गतिं ।।2।।
2. परमार्थतत्त्व का पर्यालोचन करने वाला मुनि कामासक्ति का आसेवन न करे । काम-वासना की कामना करने वाला प्राणी वासना का उपभोग न करने पर भी दुर्गति को प्राप्त करता है।
2. Self-less saint who dwells on the absolute should shun all desire. One who cherishes desire without actually attaining and indulging these also meets a poor destiny.
जे लुब्भन्ति कामेसु, तिविहं हवति तुच्छ से । अज्झोववण्णा कामेसु, बहवे जीवा किलिस्सन्ति।।3।।
3. जो कामों में लुब्ध — लोलुप होते हैं वे तीन प्रकार - मन, वाणी, शरीर से सत्त्वहीन होते हैं अथवा कामी व्यक्ति की दृष्टि में वासना के सामने तीनों लोक तुच्छ हैं। वासनाओं में अत्यासक्त बहुत से जीव दुःख को प्राप्त करते हैं।
3. Those who become libido-addicted are debilitated mentally, lingually and physically. A lascivious creature can barter the Universe for his object of desire. Lecherous creatures meet an ignoble end.
सल्लं कामा, विसं कामा, कामा आसीविसोवमा । बहुसाधारणा कामा, कामा संसारवड्ढणा ।। 4 ।।
4. काम शल्य है, काम विष है, काम आशीविष सर्प है, काम प्रचण्ड वासना है और काम संसार को बढ़ाने वाला है।
354 इसिभासियाई सुत्ताई