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प्रस्तुत संस्करण में मूल प्राकृत पाठ एल.डी. इंस्टिट्यूट, अहमदाबाद से 1974 में प्रकाशित संस्करण के अनुसार मूल प्राकृत सर्वप्रथम उद्धृत है, फिर हिन्दी अनुवाद और फिर अंग्रेजी अनुवाद। जिससे कि एक साथ ही तीनों भाषाओं को पाठक पढ़ सकें, यह क्रम प्रत्येक छन्द या गद्यांश के क्रमशः हिन्दी अंग्रेजी अनुवाद देते हुए समस्त 45 अध्ययनों में निभाया गया है। आशा है इससे पाठकों को सुविधा होगी तथा इन सूत्रों का आशय उन्हें हृदयंगम हो सकेगा।
-अनुवादकगण
इसिभासियाई सुत्ताई 17