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________________ २७४ अपभ्रंश-साहित्य - योगी कहता है,हे योगियो ! जिस प्रकार मन विषयों में रमता है उसी प्रकार यदि आत्म चिन्तन करे तो शीघ्र ही निर्वाण प्राप्त हो। ग्रन्थ की भाषा में अनेक शब्द रूप हिन्दी शब्दों के पूर्व रूप से प्रतीत होते हैं।' पाहुड दोहा - इस ग्रन्थ के रचयिता मुनि रामसिंह समझे जाते हैं। इसमें ग्रन्थकार के विषय में कोई उल्लेख नहीं मिलता । एक हस्तलिखित प्रति की पुष्पिका में इन दोहों के रचयिता मुनि रामसिंह कहे गये हैं। ग्रन्थ के एक दोहे में भी ऐसा ही निर्देश है। कुछ प्रतियों में इसके रचयिता योगीन्द्र माने गये हैं। सम्भव है कि भाव साम्य, भाषा साम्य और योगीन्द्र की प्रसिद्धि के कारण इसका रचयिता भी उनको ही मान लिया गया हो। डा० उपाध्ये का विचार है कि सम्भवतः ग्रन्थ योगीन्द्र कृत ही है और रामसिंह केवल एक परम्परागत नाम है। ग्रन्थ-कर्ता के काल के विषय में भी निश्चय से कुछ नहीं कहा जा सकता । इस ग्रन्थ के कुछ पद्य हेमचन्द्र ने उद्धृत किये हैं। अतः इतना निश्चित है कि लेखक हेमचन्द्र से पूर्व हुआ। 'पाहुड दोहा' के कुछ दोहे 'सावय धम्म दोहा' में भी मिलते हैं। ये दोहे सावयधम्म दोहा से लिये गये । सम्भवतः लेखक के समय तक सावयधम्म दोहा की रचना हो चुकी थी। अतः रामसिंह सावयधम्म दोहा के रचयिता देवसेन (वि० सं० ९९०, ९३७ ई०) और हेमचन्द्र (सन् ११००) के बीच सन् १००० ई० के लगभग हुए होंगे। लेखक के जैन १. कहिया--कथिताः दोहा संख्या १०; करहि-करोषि, पावहि--प्राप्नोषि सं० १५; छंडहु-त्यज सं० २१; चउरासी लखहि फिरिउ-चौरासी लाख योनियों में फिरा सं० २५; चाहहु-इच्छत सं० २६; पावइ--पाता है, छंडिवि--छोड़ कर सं० ३२; छह--षट् सं० ३५; चाहहि--इच्छसि सं० ३९; पियहि-पिब ४६; पढियइं--पठितेन सं० ४७, ५३, पोत्था--पुस्तक सं० ४७; धंधइ-धन्धे में सं० ५२; गहहि-गृहाण सं० ५५; मण्णहि--मन्यन्ते सं० ५६; दहिउ--दही, घीव--घी सं० ५७; ठाइ--तिष्ठति सं० ९१; विलाइ--विलीयते सं० ९१।। २. प्रो० हीरालाल जैन द्वारा संपादित, कारंजा जैन पब्लिकेशन सोसायटी, कारंजा, बरार, वि० सं०, १९९० ३. पाहुड़ दोहा भूमिका पृ० २६ तथा परमात्म प्रकाश भूमिका पृ० ६२ ४. पाहुड़ दोहा संख्या २११--"रामसीहु मुणि इम भणइ" ५. पाहुड़ दोहा भूमिका पृ० २६, परमात्म प्रकाश भूमिका पृ० ६२ ६. एनल्स आफ भंडारकर ओरियंटल रिसर्च इंस्टिट्यूट, जिल्द १२, सन् १९३१, १० १५२-१५४ ७. पाहुड़ दोहा भूमिका पृ० २२ -
SR No.006235
Book TitleApbhramsa Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarivansh Kochad
PublisherBhartiya Sahitya Mandir
Publication Year
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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