________________
प्रतिक्रमण विचार. करवानुं थायः ते वखतनी अगाउ अथवा ते दिवसे जे जे दोष थया होय ते एक पछी एक अंतरात्म्मथी जोइ जवा अने तेनो पश्चाताप करी ते दोषथी पार्छ वळवू तेनुं नाम प्रतिक्रमण कहेवाय.
उत्तम मुनियो अने भाविक श्रावको संध्याकाळे अने रात्रिना पाछळना भागमां दिवसे अने रात्रे एम अनुक्रमे थयेला दोषना पश्चाताप करे छे के तेनी क्षमापना इच्छे छे, एनुं नाम अहीं आगळ प्रतिक्रमण छे. ए प्रतिक्रमण आपणे पण अवश्य करवू. कारण के आ आत्मा मन, वचन अने कायाना योगथी अनेक प्रकारनां कर्म वांधे छे. प्रतिक्रमण सूत्रमा एनुं दोहन करेलुं छे, जेथी दिवस रात्रमा थयेलां पापना पश्चाताप ते वडे थइ शके छे. शुद्धभाव वडे करी पश्चाताप करवाथी लेश पाप थतां परलोकभय अने अनुकंपा छूटे छे, आत्मा कोमळ थाय छे. त्यागवा योग्य वस्तुनो विवेक आवतो जाय छे. भगवत्साक्षीए अज्ञान आदि जे जे दोष विस्मरण थया होय तेनो पश्चाताप पण थई शके छे. आम ए निर्जरा करवानुं उत्तम साधन छे. ___ एर्नु आवश्यक एवं पण नाम छे. आवश्यक एटले अवश्य करीने करवा योग्य ए सत्य छे. ते वडे आत्मानी मलिनता खसे छे, माटे अवश्य करवा योग्यज छे.
सायंकाळ जे प्रतिक्रमण करवामा आवे छे तेनुं नाम 'देवसीयपडिक्कमण' एटले दिवस संबंधी पापनो पश्चाताप, अने रात्रिना पाछला भागमा प्रतिक्रमण करवामां आवे छे ते 'राइपडिक्कमण' कहेवाय छे. देवसीय अने राइ ए पाकृत भाषाना शब्दो छे. पखवाडीए करवानुं प्रतिक्रमण ते पाक्षिक अने संवत्सरे करवातुं ते संवत्सरिक कहेवाय छे. सत्पुरुषोए योजनाथी बांधेलो ए सुंदर नियम छे.
केटलाक सामान्य बुद्धिमानो एम कहे छे के दिवस अने