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________________ धर्मपरीक्षा-१३ २१३ यस्य स्मरणमात्रेण नश्यन्ति विपदो ऽखिलाः । प्राप्तः सीतावियोगाद्याः स कथं विपदः स्वयम् ॥४८ निजानि दश जन्मानि नारदाय जगाद यः। स पृच्छति कथं कान्तां स्वकीयां फणिनां पतिम् ॥४९ राजीवपाणिपादास्या रूपलावण्यवाहिनी। फणिराज त्वया दृष्टा भामिनी गुणशालिनी ॥५० अनादिकाल मिथ्यात्ववातेन कुटिलोकृतान् । कः क्षमः प्रगुणोकतु लोकान् जन्मशतैरपि ॥५१ क्षुधा तृषा भयं द्वेषो रागो मोहो मदो गदेः। चिन्ता जन्म जरा मृत्युविषादो विस्मयो रतिः ॥१२ खेदः स्वेदस्तथा निद्रा दोषाः साधारणा इमे। अष्टावशापि विद्यन्ते सर्वेषां दुःखहेतवः ॥५३ क्षुधाग्निज्वालया तप्तः क्षिप्रं शुष्यति विग्रहः । इन्द्रियाणि न पञ्चापि प्रवर्तन्ते स्वगोचरे ॥५४ ५१) १. क वक्रीकृतान् । २. श [ स ] रलं कर्तुम्; क सरणं कर्तुम् । ५२) १. रोगः। ५३) १. सर्वेषां समानाः। ५४) १. स्वविषये। जिस रामके स्मरणमात्रसे ही समस्त आपत्तियाँ नाशको प्राप्त होती हैं वही राम स्वयं सीताके वियोग आदि रूप आपत्तियोंको कैसे प्राप्त हुआ ॥४८॥ जिस रामने नारद ऋषिसे अपने दस जन्मोंके वृत्तको कहा था वही राम सोंके स्वामीसे 'हे सर्पराज ! क्या तुमने कमलके समान हाथ, पाँव व मुखसे संयुक्त तथा रूप व लावण्यकी नदीस्वरूप ऐसी अनेक गुणोंसे शोभायमान मेरी स्त्रीको देखा है ?' इस प्रकारसे कैसे पूछता है ? ॥४९-५०॥ जो लोग अनादि कालसे प्राप्त हुए मिथ्यात्व-रूप वायुके द्वारा कुटिल-टेढ़े-मेढ़ेकिये गये हैं उनको सैकड़ों जन्मोंमें भी सरल-सीधा-करनेके लिए कौन समर्थ हो सकता है ? उन्हें सरलहृदय करनेके लिए कोई भी समर्थ नहीं है ॥५१॥ भख. प्यास. भय. द्वेष. राग. मोह. अभिमान. रोग, चिन्ता, जन्म, जरा. मरण, विषाद, आश्चर्य, रति, खेद, पसीना और निद्रा; ये दुखके कारणभूत अठारह दोष साधारण हैं जो सभी संसारी प्राणियोंके हुआ करते हैं ।।५२-५३॥ १ क्षुधा-प्राणीका शरीर भूखरूप अग्निकी ज्वालासे सन्तप्त होकर शीघ्र ही सूख जाता है-दुर्बल हो जाता है, तथा पाँचों इन्द्रियाँ अपने विषयमें प्रवृत्त नहीं होती हैं ॥५४॥ ४८) ब ड इ नश्यन्ते; अ क इ प्राप्तम् । ५०) अ स्नुषा for त्वया । ५२) ब क तृष्णा। ५३) ब क ड खेदः स्वेदः। ५४) ड इ पञ्चानि....गोचरम् ।
SR No.006233
Book TitleDharm Pariksha
Original Sutra AuthorAmitgati Acharya
Author
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1978
Total Pages430
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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