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अथ श्री महाप्रभाविक बीजमंत्रगर्मित परमचमत्कारी सर्वकार्यसिद्धिदायक
। श्री शान्तिधारा पाठः ॥ ॐ हीं श्रीं क्लीं ऐं अर्ह वं मंहं संतं वं वं मं मंहहं सं संततं पंप डं डं म्वी म्वी क्ष्वी वी द्राँ द्राँ द्रीं द्रीं द्रावय द्रावय नमोऽर्हते भगवते श्रीमते ॐ ह्रीं क्रॉ मम पाप खण्डय खण्डय हन हन दह दह पच पच पाचय पाचय सिद्धिं कुरू कुरू ।।
ॐ नमोऽहं डॅम्वी क्ष्वी हं सं डं वं व्हः पः हाँ क्षा क्षीं मैं सों क्षौँ ज्ञः ।। १ ।।
ॐ हूँ हाँ ही हूँहूँ हूँ हूँ हाँ हाँ हूँ हः असिआउसाय नमः । मम पूजकस्य ऋद्धिं वृद्धिं कुरू २ स्वाहा । ॐ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते डः डः डः मम श्रीरस्तु वृद्धिरस्तु तुष्टिरस्तु पुष्टिरस्तु शान्तिरस्तु कान्तिरस्तु कल्याणमस्तु मम कार्यासिद्धयर्थं सर्व-विघ्ननिवारणार्थ श्रीमद्भगवते सर्वोत्कृष्ट-त्रैलोक्यनाथार्चित-पादपद्मअर्हत्-परमेष्ठि-जिनेन्द्र-देवाधिदेवाय नमोनमः मम श्री शान्तिदेव-पादपद्मप्रसादात् सधर्म श्री ५८ बलायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिरस्तु स्वस्तिरस्तु धनधान्यसमृद्धिरस्तु श्रीशांतिनाथो मां प्रति प्रसीदतु, श्री वीतरागदेवो मां प्रति प्रसीदतु, श्री जिनेन्द्रः परममांगल्य-नामधेयो ममेहामुत्र च सिद्धिं तनोतु ।।