SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 171
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (४२) “दशवैकालिक - मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य +चूर्णि:) अध्ययनं [१], उद्देशक [१], मूलं [१५...] / गाथा: [६०-१५९/७६-१७५], नियुक्ति : [२२०-२३४/२३४-२४४], भाष्यं [६१-६२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र - [४२], मूलसूत्र - [०३] “दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणि-रचिता चूर्णि: प्रत सूत्रांक [१५...] गाथा ||६० ५ .12 ॥१६५॥ १५९|| एते ताव मूलगुणा भणिया , इदाणि उत्तरगुणा भणति, एतेणाभिसंबंधेणागतस्स पंचमायणस्स चत्तारि अणु-। CI पिण्डकालिकाओगदारा भाणियब्वा, जहा आवस्सए, नवरं इहं नामनिष्फण्णा भण्णइ-नाम ठवणापिंटो दब्यपिंडो य भावपिंडो य15 स्वरूपं चणी गाथा, णामनिप्फणे पिंडनिज्जुत्ती माणियचा, सा य सव्वावि नवहिं कोडीहिं समोयरइ, तं-ण हणइ ण हणावेइ हणतं नाणु जाणह ण पयति ण पयावेइ पयंतं नाणुजाण न किणइ न किणावेइ किणते नाणजाणइ, एत्थ गाथा 'कोडीकरणं' गाथा | (६२-१६१ भा०) एता नवकोडीओ दुहा कीरति उग्गमकोडी य विसुद्धिकोडा य, तत्थ उग्गमकोडी नाम अविसोहिकोडी, तत्थ | हाजा सा जगमकोडी सा छबिहा, तं०-आहाकम्म पढमा उम्गमकोडी, उद्देसिया पासंड समणनिरगंथाण य कम्मं समोयरइ विति-161 या उग्गमकोडी, पूती कम्म भत्तपाणपूतियं ततिया, मीसजाए घरमीसपासंडाणं चउत्था, बादरपाहुडियाए पंचमी, अज्झायरए11 ५॥छट्ठा, एसा छब्बिहा अविसोधिकोडी, सेसा विसोधिकोडी, तत्थ जा सा अविसोधिकोडी सा न हणइ न हणावेद हणत नाणु जाणइ न पयति न पयावेइ पयंतं नाणुजाणइ न पयंति एतेमु समोयरह, नव चेवट्ठारस' गाहा (२६।५-१६१) नव कोडीओ दोहिं रागदोसेहिं गुणिया अट्ठारस भवंति, ताओ चेव नव तिहि मिच्छत्ताण्णाणअविरतीहिं गुणियाओ सत्तावीस भवंति, सत्तावीसा पदोहिं रागदोसेहि गुणियाओ चउप्पण्णा भवंति, ताओ चव नव दसविधेण धम्मेण गुणियाओ विसुद्धाओ नउई भवंति, सा हैनउई तिहिं नाणदंसणचरित्तेहिं गुणिया दो सत्तरा भवंति, गओ नामनिफण्णो निक्खेवो, सुत्तायुगमे सुत्तमुच्चारेयचं, अक्खलियं ॥१६५।। अमिलियं अविच्चामेलियं जहा अणुयोगदारे, तं च सुतं इमउद्देशक-१ संपत्ते भिक्खुकालंमि असंभंतो अमुच्छिओ। इमेणं कम्मजोगेण, भत्तपाणं गवेसए (६०-१६३) 'आप्ल व्याप्तौ' दीप अनुक्रम [७६ १७५] र अध्ययनं -५- "पिंडैषणा'आरभ्यते [170]
SR No.006205
Book TitleAagam 42 Dashvaikalik Choorni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages387
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy