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________________ आगम (४२) प्रत सूत्रांक [१-१५] गाथा ॥३२ ५९|| दीप अनुक्रम [३२-७५] “दशवैकालिक”- मूलसूत्र- ३ (निर्युक्तिः + भाष्य | + चूर्णि:) अध्ययनं [४], उद्देशक [-] मूलं [१-१५] / गाथा: [ ३२ ५९ / ४७-७५ ], निर्युक्तिः [ २२०-२३४ /२१६-२३३], भाष्यं [५-६० ] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र - [ ४२ ], मूलसूत्र - [०३] “दशवैकालिक" निर्युक्तिः एवं जिनदासगणि-रचिता चूर्णि: श्रीदशवैकालिक चूर्णी कयवरं सोहित्ता कज्जइ तो सुंदरो य थिरो य भव, असोहिए पुण अधिरो भव, एवं कयवरथाणीए मिच्छत्ते असोहिए उनहाविज्जह तो महब्वयाणि न थिराणि मर्वति, जहा आउरस्स ओसहं वियरिज्जइ तं जह वमणविरेयणाणि काऊण दिज्जह तो लग्मइ, | एवं जह सदहितादिसु उबडाविज्जति ता घरेइ महश्वर, असद्दहितासु अधिराणि भवति, जम्हा एते दोसा तुम्हा पढियार कहि४ या सद्दहियाए परिक्खिते परिहरिए, अभिगते णाम जति अपव्वावणिज्जाणं गण्णतरो ण भवति ताहे विसुद्धो उबट्ठाविज्जति, ४ ० ॥१४४॥ तस्स य महन्वयाणि अभणियाणि न णज्जंति तओ ताणि मण्णति जहा- 'पढमे भंते ! महत्वए ति (३-१४४ ) पढमंति नाम सेसाणि मुसावादादीणि पडच्च एतं पढमं भण्णइ, मंते । सि आमंतणं सांसो वएसु उच्चारिज्जंतेसु गुरुणो करेइ, महन्वर्य 6 नाम महंतं वर्त, महन्वयं कथं १, सावगवयाणि खुट्टग़ाणि, ताणि पड़च्च साहूण वयाणि महंताणि भवंति, एत्थ निदरिसणे 'सीयाल मंगसर्य' गाहा, न करेइ न कारवेद करतं नाणुजाण मणसा वयसा कायसा १, न करेइ न कारवेश करत नाणुजाणह मणसा वयसा २ अहवा न करेह न कारवेद्द करतं नाणुजाes arer कायसा ३ न करेह न कारनेह करतं नाणुजाण मणसा कायसा ४ एते तिष्णिवि मंगा पायसो सुष्णा, तिविहं एगविण न करेह न कारवर करतं नानुजाण मणसा ५ अथवा न करेइ न कारवेश करंत नाणुजाण वयसा ६ अहवा न करेइ ण कारवेद करते नाणुजाणह कायसा ७ एते तिष्णिवि गंगा पायसो सुष्णा, एते सत्त मंगा तिविह अणमुयतेण लद्धा, इयाणिं दुविदं तिविहेण न करेह न कारवेर मणसा वयसा कायसा अहवा न करे करतं नाणुजाण मणसा वयसा कायसा अहवा न कारवेह करतं नाणुजाण मणसा वयसा कायसा, एते तिष्णि मंगा दुविहं तिविण लद्धा, इदाणिं दुविहं दुविणण करेइ ण कारवेह मणसा वयसा १ अहवा न करेह ण कारवेद वयसा कायसा २ न करेइन कारवेइ ... प्रथम महाव्रतस्य निरूपणं [149] व्रतभंगाः ॥ १४४ ॥
SR No.006205
Book TitleAagam 42 Dashvaikalik Choorni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages387
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size33 MB
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