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________________ आगम (४०) "आवश्यक”- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) अध्ययनं [४], मूलं [सूत्र /११-३६] / [गाथा-१,२], नियुक्ति: [१२४३-१४१५/१२३१-१४१८], भाष्यं [२०५-२२७] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि:- 2 प्रत सूत्रांक + गाथा: ||१२|| प्रतिक्रमणा एवं चउक्के अकालएसु य, जाहे सा देवता सिचारूपेण वासति ताहे से मुखे कूर छुमति, भणति-अहं सिवा गोवालगमातति, एवं पर चतुर्क ध्ययने सव्वाणि णिज्जिताणि, तत्थ चउत्यो वरो४। अभयो चिंतेति-केच्चिरं अच्छामा,जामोत्ति भणति-भट्टारगा! वरा दिजंतु, बरेहि पुत्ता, नलगिरिमि हस्थिमि तुम्मे मिंठा सिवाए उच्छंगे निवण्णो अग्गिभीरुस्स रहस्स दारुएहिं चितका कीरतु, तत्थ परिसामि, रायाल ल विसष्णो, तुडो, विसज्जितो सक्कारितो य, ताहे अभओ भणति-अहं तुमहिं धम्मच्छलेण आणीतो, अहं पुण तुम दिवसतो आदिच्च । दीव कातूण रडतं गगरस्स मोण जदिन हरामि ता अग्गिमि अतीमिति, तं भज्ज गहाय गतो। किंचि कालं रायगिहे अजिता दो गणियदारिकाओ अपटिरूवाओ गहाय वाणियगवेसेण उज्जेणीए रायमग्गोगाई आवारि गेहति,ाला अण्णदा दिवाओ पज्जोतेणं, ताहिवि सपिलासाहि दिट्ठाहिं निझाइतो, अंजली य से कतो, अतिगतो नियकमवण, र्ति पेसेति, II ताहि परिकृवितादि धाडिता, मणति-राया न होहित्ति, वितिए दिवसे सणियकं आरोसिता, ततिए दिवसे भणिता-सत्तम &ादिवसे देउले अम्दं देवजण्ाओ तस्थ विरहो. इहरा भाता रक्खति, तेण य तारिसओ मणूसो पज्जातोति णाम कातूर्ण उम्मत्ताद कओ, भणइ-एस मम भाता, सारवेमि णं, किं करेमि एरिसो भातिणेहो, सो महो नहो रडतो पुणो पुणो आणिज्जति, उच्छेहरे अमुका दारुका! अहे पज्जोतो हीरामित्ति, सत्तमे दिवसे ती पेसिता, एउ एगउति मणियो,आगतो, गवक्षणं तंतिताए विलग्गो, ॥१६॥ मणूसेहि पडिवमो पद्धो पल्लंकेणं सम, हीरति दिवसतो नगरमोण, यीचीकरणमूलेणं पुच्छिज्जति, भणति-वेज्जघरं निज्जति, १६३॥ अग्गतो आसरहेहि उक्खिचो, पावितो रायगिई, सेणियस्स कहितं, अर्सि अंछित्ता आगतो, अभएण बारितो, कि कज्जत, सकारता विसज्जितो, पीती जाता ततो परं, एवं ता अभयस्स उहाणपरियाणियं ॥ तस्स सेणियस्स चालणा देवी, तीसे उड्डाणपरि RECA दीप अनुक्रम [११-३६] (169)
SR No.006204
Book TitleAagam 40 Aavashyak Choorni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages332
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size26 MB
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