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आगम (४०)
"आवश्यक”- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) अध्ययनं [४], मूलं [सूत्र /११-३६] / [गाथा-१,२], नियुक्ति: [१२४३-१४१५/१२३१-१४१८], भाष्यं [२०५-२२७] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक" नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि:- 2
प्रत सूत्रांक [सू.] + गाथा: ||१२||
प्रतिक्रमणा &| निज्जरा अत्थि अरहता एवं चक्कवडी बलदेवा वासुदेवा चारणा विज्जाहरा णरगा णेरड्या तिरिक्खजोणी तिरिक्खजोणिया
" उपासकध्ययने
माता पिता रिसयो अरिसयो देवा जाव अस्थि देवलोगा अस्थि सिद्धी अस्थि असिद्धी अस्थि परिनिवाणे अस्थि परिनिरुवुत्ता प्रतिमाः
अस्थि पाणातिबाते जाव अस्थि मिच्छादसणसच्चे अस्थि पाणानिपातरमणे जाव अस्थि राइमायणवरेमणे अस्थि काहविवेगे जाव ॥१२॥ अस्थि लोभविवेगे अस्थि पेज्जविवेगे जाव अस्थि मिच्छादसणसन्नविवेगेनि, जिणपत्रत्ता भावा अवितहं सदहति तस्स णं एग वा
अणेगाई वा अणुब्बताई णो कताई भवतीति पढमा उवासगपडिमा १॥ अथावरा दोच्चा उ० दंसणसावए याषि भवति, लातस्स ण एवं भवति-अस्थि लोगे जाच जिणपणना भावा अवितई सद्दहति, तस्स एग वा अणेगाई च अणुब्बताई भवंतीति ट्र! | दोच्चा उ०२ अहावरा तच्चा उदसणसावए यावि भवति, तस्स पंजाब सदहति, तम्स ण एग अगाई वा अणुन्यताई कताई भवति । सामाइयं संम अणुपालेति जाव तिमि मासा एतगुणा धारेवित्ति तच्चा उ०३ ।। अहावरा चउत्था उ०दसणसा. जथा तच्चा जाव|31 सामाइयं सम अणुपालंति, चाउसिअट्टमुदिद्वपुणिमासणीसु पडिपुणं पोसह सम्मं अणुपालेनि जाव चत्तारि मासा एते गुणा
धारतित्ति चउत्था उ०४॥ अथावरा पंचमा उ० दसणसावए जथा चउत्था जाव पोसह सैम अणु० रातिभने से परिणाते ५ भवति सचिचाहारे से जो परिण्माते भवति जाव पंच मासा एते गुणा धारतित्ति पंचमा उ०५ ।। अहावरा हट्ठा उ० दसण8 जथा पंचमाए तहेव जाव रातिभत्ते से परिणाते भवति सचित्ताहाबि से परिणाए भवति जाव छम्मासा एते गुणा धारोतीति ॥१२॥
ट्ठा उ०६॥ अहावरा सचमा उ०दसण जथा छट्ठाए तहेव रातीमत्तपरिणाते सचित्ताहोर परिणाए दिया चंभचारी रातो परिमाणकडे जाव सत्त मासा एते गुणा भारतित्ति सत्तमा उ०१॥ अथावरा अट्ठमा उ० दंसणसावए यावि भवति जाव पडिपुण्णं
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दीप अनुक्रम [११-३६]
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