SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 22
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (४०) "आवश्यक’- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) अध्ययनं म, मूलं - /गाथा-], नियुक्ति: [८-११], भाष्यं । मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 सत्राक UAR सो जीवपएसेहि गहिऊण वेउब्वियसरीरेण णिसिरति, एवं आहारगेणावि, 'तो भासति भासतो भासति भासं ति णाम जति भासतो भाषायाः चूर्णी | भवति तो भासति, किं कारणी, अण्णोसि ओरालियबेउच्चियआहारगा अत्थि,ण पुण भासंति। कम्हा, पज्जचिअभावा, कारणं वा प्रकाराल II किंचि पहुच्च ण भासंतित्ति ॥ ८॥ तं पुण भासं कतिप्पगारं गेण्हतिः, एत्थ भण्णति व्याप्तिश्च सानानि त ओरालियवेडाब्वय० ॥९॥ ओरालियवेउब्बियआहारगसर्रारी चाउम्बिहं भासं गेण्हति य मुंचद य, संजहा- सच्च असच्च ॥१६॥ सच्चामोसं असच्चामोस च, जाए भासाए गेण्हति ताए चेव णिसिरति, णो अण्णाए घेत्तूण अण्णाए णिसिरइत्ति ॥९॥ एत्थ सीसो | आह-कतिहिं समएहिं लोगो० ॥१०॥ माहा कंठा । आयरिओ आह । चउहिं समरहिं० ॥११॥ जीवो जाई दबाई भासत्ताए गहियाई णिसरति ताणि भिण्णाणि वा णिसिरति अभिप्राणि वा, | Kजाई भिन्नाई णिसिरति ताई अणंतगुणपरिवुड्डीए परिवमाणाई २ चउहि समतेहिं समंतओ लोगंतं फुसंति, फुसंति णाम पाव | तित्ति वुत्तं भवति, जाई अभिण्णाई णिसिरति ताई असंखेज्जाओ उग्गाहणवग्गणाओ गंता भेदमावज्जंति, संखेज्जाई जोयणाई लागंता विद्धसमागच्छति, विद्धसमागच्छति णामाभासीभवतित्ति घुत्तं भवति । एवमेव जाई भिण्णाई णिसिरति ताई महंतलेलुकसमाई || चउहिं समएहिं लोगत पावंति, जाणि पुण अभिण्णाणि णिसिरति ताणि खुद्दलगलेलृगसमाणाई अंतरा चेव विद्धंसमागच्छंति, तेहि य भिण्णेहि भासादब्बेहिं चउहि समएहि लोगो निरंतर सब्बो चेव फुडीकओ, जो य लोगस्स चरिमो अन्तो सो चेव भासा-18 लिएवि चरिमो अंतोत्ति । कहं , जेण अलोए जीवाजीबदव्वाणं धम्मत्थिकायदव्वस्स अभाव गती चेव पत्थि, अतो लोगस्सा चरिमंते भासाएऽवि चरिमंतो भण्णतित्ति ।।११।। इयाणि एयस्स आभिाणबोहियस्स एमट्ठिया भणति, तंजहा- . दीप अनुक्रम (22)
SR No.006203
Book TitleAagam 40 Aavashyak Choorni 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages624
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy