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________________ आगम (४०) "आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) अध्ययनं H, मूलं - गाथा-], नियुक्ति: [१२६/३४६-३४९], भाष्यं [३२-३७] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 प्रत सत्राक तए णं सा तिमिसगुहा तेहि मंडलेहि आलोयभूता उज्जोयभूता जाता यावि होत्था, तीसे गं गुहाए बहुमज्झदेसभाए एत्थ भरतस्यआवश्यक1 णं उमुग्गनिमुग्गाजलाओ नाम दुवे महानदीओ पण्णताओ, जाओ णं तिमिसगुहाए पुरथिमिल्लाओ भित्तिकडगाओ पढाओ दादाग्वजयः पच्चस्थिमेण सिंधुमहानई समप्पति, जन्नं उम्मग्गजलाए तणं वा क8 चा पत्तं वा सकरं वा आसे वा हत्थी या रहे वा जोहे चा | उपोद्घाताट नियुक्ती मणुस्से वा पक्खिप्पति त सा तिक्वत्तो आहुणिय आहुणिय एगते थलसि एडेइ, जन्नं निमुग्गजलाए त सा अंतोजलंसि णिमज्जावेति। ॥१९४॥ तए णं से बट्टतिरयणे मरहवयणसंदेसेणं तामु णदीसु अणेगखभसयसहससनिविट्ठ अचलमकप सालंबणवाहगं सब्बरयणामयं सुहसंकम करेइ, तए ण से भरहे जाव चक्करयणदेसितमग्गे जाव समुद्दरवभूतं पिव करेमाणे सिंधूए पुरथिमिणं कूलेणं ताओ णदीओ तर्हि संकमेण जाव सुहेण उत्तरति, तए णं तीसे गुहाए उत्तरिलस्स दुवारस्त कवाडा सतमेव महता महता कोंचारवं करेमाणे सरसरसरस्स सयाई ठाणाई पच्चोसकित्था ॥ तेण कालणं तेणं समएणं उत्तरदभरहे वासे बहवे आवाडा णाम चिलाता| | परिवसंति, अट्टा दित्ता वित्ता विच्छिमविउलभवणसयणासणजाणवाहणाइबा बहुधणा बहुजातरूपरयया जाब बहुदासीदासगोमहिसगवेलगयप्पभूता बहुजणस्स अपरिभूता सूरा वीरा विकता विच्छिन्नविपुलबलवाहणा बहसु समरसपराएमुलद्धलक्खा यावि होस्था, तएणं तेसिं विसयमि वहई उप्पादितसताई पाउन्भवित्था, तए णं ते ताणि पासित्ता जावं ओहतमणसंकप्पा झियायति । तए १९ से भरहे राया चकरयण जाव रवभूतंपिव करेमाणे तीए गुहाए उतरिक्षण दुवारेणं पीति ससिब्ब मेहंधकारणिवहाओ। तए मंते हैं। चिलाता तं पासित्ता आसुरचा जाच अन्नम सद्दावेंति २त्ता एवं बयासी-एस र्ण देवाणुप्पिया! कई अप्पत्थियपत्थगे जाव अम्ह दीप अनुक्रम (200)
SR No.006203
Book TitleAagam 40 Aavashyak Choorni 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages624
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size47 MB
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