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________________ आगम (४०) "आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) अध्ययनं , मूलं - /गाथा-], नियुक्ति : ११३/१८६-१९०], भाष्यं [१-३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 पत TEIC उपोदयात दीप कमलपतिट्ठाणेहिं सुरभिवरवारिपुत्रेहिं चंदणकयचच्चाएहिं आविद्धकंठेगुणेहि पउमुप्पलप्पिहाणेहिं करतलबमालपरिग्गहितेहिं अट्ठआवश्यक सहस्सहिं सोवनियाणं कलसाणं जाव अदुसहस्सिएणं भोमेज्जाणं जाव सब्बोदएहिं सव्वमाडियाहिं सब्बतुयरेहिं जाव सम्बोसहिचूर्णी सिद्धत्थएहिं सब्बिड्डीए जाव खेणं महता महता तित्थकराभिसेगणं अभिसिंचति । तए णं सामिस्स महता महता अभिसेगसि चेव जन्मा भिषेकः पिसाबढमाणसि सब्बे इंदा छत्तचामरकलसधूवकडच्छुयपुष्फगंधजाव हत्थगया हत्थतुह जाब पुरतो चिट्ठति बज्जमलपाणी, अनेवि 31 यण देवा य देवीओ य चंदणकलसहत्थगया एवं भिंगार जहा बद्धमाणसामिस्स निक्खमणे जाव पंजलिकडत्ति । एवं अप्पे॥१४८॥ गतिया देवा आसितसंमज्जियोवलितं करेंति जहा विजयस्स जाव गंधवट्टिभूयं करेंति, अप्पे० हिरनवासं वासेंति, एवं सुवन्नरयणव-17 X|इरआभरणपतपुष्फफलबीयमल्लगंधवाजाव चुन वासंति । अप्पे०हिरनविधि भाएंति, एवं जाव चुन्नविधि भाएंति, अप्पे० चउब्बिई || & वज्ज वाएंति ततं बिततं घणं झुसिरं । अप्पे० चउबिहं पगायंति, तंजहा-उक्खित्तं पयत्तं मंदं चोइंदर्ग, अप्पे०चउब्बिह गद्दे णचेंति, पतंजहा-अंचितं दुतं आरभडं भसोलंति, अप्पे०चउविहं अभिणयं अभिणति, तंजहा-दिट्ठतियं पाडियंतियं सामंतोवाइयं लोगमज्झव-19 सिय, अप्पे० बचीसइविहं दिव्वं नट्टविधि उबदसति, अप्पे उप्पयणिययपब्वयं संकुचितपसारितं । जाव भन्तं णाम दिव्वं गट्ट-टूविहिं उबदसेंति, अप्प० पीणेति एवं वक्खारैति तंडति लासेंति अप्फोडेति वग्गति सीहणादं गर्दति, अप्पे० सव्वाई करेंति, अप्पे० हयहेसिय, एवं हत्थिगुलगुलाइत रहघणघणाइतं, अप्पे विनिवि, अप्पे अच्छोलेंति अप्पे० पच्छोलेंति एवं तवंति अच्छि-131 इदंति पाददद्दरं करेंति भूमिचवेडं दलयंति, अप्पे० महता महता सद्दणं राति, एवं संजोगावि विभासियच्या, अप्पे० हकारेंति एवं ॥१४८॥ पुकारेंति बकारेंति ओवयंति उप्पयंति परिप्पवन्ति जलंति तवति गज्जति विज्जुयंति वासंति देवुकलियं करेंति एवं देवकुहुकु अनुक्रम (154)
SR No.006203
Book TitleAagam 40 Aavashyak Choorni 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages624
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size47 MB
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