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________________ आगम (०१) प्रत वृत्यंक [६२ ७१] दीप अनुक्रम [६३ ७२] श्री अचा संग सूत्र चूणिः २ अध्य० ।। ४५ ।। “ आचार” - अंगसूत्र - १ (निर्युक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [२] उद्देशक [१], निर्युक्तिः [१७२-१८६], [वृत्ति अनुसार सूत्रांक ६२-७१] (१८०-८६) देवकुरादी अम्मभूमी सता जोखणे वट्टेति निरुपकमाउया विहरियं, सुभाणुभावा पगतिभद्दा तिगुणेण देवलोएस उबवज्जति खेचगुणेण कालगुणो एगंतसुसमादिसु तिसु समासु एसच्चैव अणुभागो, फलगुणो णाम तवसंजमादिसु सव्वकिरिया | सव्वकिरियाओ इहलोइयाओ फलनिमित्तं आरभंति, ताओ सम्मत्तादिविरहियाओं अणेगंतियाओ अगुण एव द्रष्टव्यो, सम्मततवसंजम किरियाओ एगतियाओ अञ्च्चतियाओ य सिद्धिसुहअब्याबाहफला इति, पज्जवगुणो कालगादीऽणंता भेदा, गणणा गुणो णाम महंताएवि रासीए गणणागुणेण परिमाणं घेप्पति, करणगुगो णाम कलाकोसलं, बवगादि, करणजएण य वर्त्तिति, गाया कारगादी य करणजएण करेंति, अब्भासगुणो अंधग्गरिवि भुंजमाणो अव्यासंगेण कवलं मुखे प्रक्षिप्पति, गुणोवि अगुणो | भवतित्ति जो समभावमद्दवादिगुणजुतो सो दुट्ठेहि परिभविज्जति तस्स गुणो अगुणो इहलोगं प्रति भवति, सो चेव परलोगं प्रति गुणो भवति, कूरो साहसिओ अमरिसणो दुआधरिसो भवति तस्स अगुणो गुणो भवति इहलोगं प्रति परलोगे अगुण एव, अहवा संसारो, वृक्षो छिद्यति सो तस्स गुणो अगुणो भवति, अगुणो वंको णिस्सारो पत्तादि अणुवभोगो जो य णच्छिज्जति, भवगुणो नेग्इयादीणं भवाणं जो गुणो नेरइया अंगुल०, वेयणं सहंति, छिष्णा पुणो साहण्णंति, ओहिष्णाणं, तिरियाणं आगासग| मणलद्वी, गोणादीणं च आहारियं सुभचेण परिणमति, मणुस्सभवे कम्मकूखयादि, देवेसु सच्चे सुहाणुभावा, सीलगुणो णाम | अक्क्स्समाणोऽवि ण खुन्मति, अहवा सहादिएस भद्दयपावएस ण रज्जति दुस्सति वा, भावगुणो उदइयादीगं भावाणं जो जस्स गुणो, उदयगुणो तित्थगरसरीरं आहारगसरीरादि, उवसमियगुणो सतिवि णिमिचेण विसयकसाया उदिज्जंति, खइयस्स खीणता ण उदिज्जंति, णाणसामग्गंति णाणसमिद्धी य. एवं सेसाणवि भाणियवं, अहया भावगुणो दुविदो - जीवभावगुणो य मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता आगमसूत्र -[०१], अंग सूत्र [०१] "आचार" जिनदासगणि विहिता चूर्णि: द्वितीय अध्ययने प्रथमं उद्देशक: 'स्वजन' आरब्ध:, [49] गुण निक्षेपाः ।। ४५ ।।
SR No.006201
Book TitleAagam 01 ACHAR Choorni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages388
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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