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________________ आगम (०१) प्रत वृत्यंक [१८८ १९३] दीप अनुक्रम [२०१२०६] श्रीजाचारांग सूत्रचूर्णिः ॥२३२॥ “आचार” - अंगसूत्र - १ (निर्युक्ति: + चूर्णि :) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [६], उद्देशक [४], निर्युक्तिः [२५२...], [वृत्ति अनुसार सूत्रांक १८८-१९३] सम्म उडाए समुट्ठाए, ण मिच्छोबट्टाए, गोविंदवत्, अविहिंसगा सुबता देता सच्चवादी जाव संतुट्ठा सोभणाणि वताणि तेसिं सुब्बता, तबजुत्ता इंदियनोईदियदंता, नागज्जुण्णा ते समणा भविस्सामो अणगारा अकिंचणा अपुत्ता अपसू अविहिंसगा सुबता देता परदत्तभोइणो पावकम्मं णो करिस्सामो समुट्ठाए एवं महईए पष्णं तरित्ता सियावित्ता विहारिणो अघडणंतरे, एगेण सव्वे, पासंडी व सीहि अणुदारसतचाए, परीसहपराजिते उडूं परतिचिसत्ता उप्पइत्ता, आमरणंताए संजमट्ठाणे हिचा गारवदोसाओ पुणो पडिवयमाणे, कत्थ १-अविरतीए गिवास चारए वा, पडिवयमाणो पडितेय, बस| हिकायरा जणावासे वहू॑तीति, वसही केसि ?, इंदियवसहगारवाणं अस्थित्ते आदारे, जेसिं कायरा य दुक्खं भवति, ण तवमूरा, जाईति जाइस्संति य जाणंति वा कम्माणि जणा, अहवां जणा इति साहू, ते पडिभग्गा समणा ण साहू जणा वुञ्चति, काउं दुद्धराणि अट्ठारससीलंगसहस्साणि धारेस्सतीति दव्वलिंगस्स भावलिंगस्स लगा भवंति तेसिं वयाणं, केई दरिसणस्सवि 'अह | मेगेसिं लोए पावए भवति' अह तेसिं भगवयाणं भम्गउच्छहाणं भग्गपरक माणं गारववसोते उप्पञ्जयित्ताणं, पंसेति पातेति वा पावगं असिलोगो, अहमेसो, सो तु सपक्खाओं परपक्खाओ तहा, सपक्वं परपक्खं वा, तत्थ ताव परपक्खाओ परोक्खं जति तं कोइ पसंसति सुतेण या जातीए वा तो भणति-धिरत्धु या, तेसिं तु तस्स उबदेसे ण वद्धति, 'जहा खरो वंदण भारवाही भारस्स भागी ण हु चंदणस्स', हीणं से जाति कुलं वा, मा एतस्स कुलफंसणस्स णामपि गिण्डादि, असिक्खिगिज्झस्स पब्वाईस, उप्पण्य इयाणं देवावि बीमेंति, जेवि समविस्समियाहिं धम्मं करेंति, एवं सक्खमवि के भणंति, विवातउग्गहादिसु रोसिता अरोसिता वा मुकत्थं भणति, अण्णं परात्र सेंति, आदिचाणि ज्झायंति, चम्पुडियं देति, तंमि य आगते परिसमज्झाओ पंतीओ वा उट्ठेति सप मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता आगमसूत्र -[०१], अंग सूत्र [०१] "आचार" जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [236] सुववादि ॥२३२॥
SR No.006201
Book TitleAagam 01 ACHAR Choorni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages388
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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