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________________ आगम (०१) “आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [१], उद्देशक [१], नियुक्ति: [१-६७], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १-१२] श्रीआचा- राग सूत्र- लोकादिवादिता प्रत ॥१४॥ वृत्यंक [१-१२] देवा ! तं संभरह जाति ॥१॥ जह एवं कोई सहसंमइयाए जाणइ जहा सोऽहं तहेव अनो परतो अण्णाओ वा सोचा अणेगहा जाणाविओ अप्पाणं पचमिष्णाइ जाव सोऽहमिति, जात्रा कोई भणेजा भणितं मट्टारएणं-अप्पा अस्थि, न तस्स लक्षणं उवदिहुँ, भण्णा-भणितं सोऽहमिति, इह निरहंकारे सरीरे जस्स इमोऽहंकारी, तंजहा-अई करेमि मया कयं अहं करिस्सामि, एयं तस्स | लक्वर्ण जो अहंकारो, भणितं अप्पलक्खणं । इदाणी पगतं भाइ-से आआवादी लोगावादी कम्मावादी किरिया-1 वादी' (५-२२) जेण एवं अप्पा जहुद्दिट्टउवलद्विकारणाणं अनतरेणं उवलद्धो से आयावादी-आयाअस्थित्तवादी, णो गाहिवादी, DD लोगवादी गाम जहचेच अहं अस्थि एवं अनेवि देहिणो संति, लोगअन्भतरे एव जीवा, जीवाजीवा लोगसमुदओ इति, भणितो | लोगवादी, अकम्मस्स संसारो पत्थि तेण कम्मवादीनि, तस्स बंधो चउन्धिहो पगतिठितिअणुभागपदेसबंधो य, सो यण | विणा आसवेण तेण आसनो भाणियन्चो, आसवो किरिपाए भवति, मणियं च-"जाव वगं एसजीवे सपासमियं एपति वेयति || चलति ताव ण तस्स अंतकिरिया भवति, किरिया य जीवस्स अत्यंतरभूताण भवति तेण भण्णति 'अकरिसु' वऽहं करेमि वऽहं' अहवा णिचत्त अन्नत्तकचित्ते सिद्धे एतं सिद्धं भवति-'अकरेंसु वऽहं करिस्सामि वऽ' अहवा तिकालकजववएसा आया अप्पचक्खो, तत्थ काइयं वाइयं माणसिय तिविद करणं, एक्केक्कं कियं कारियं अणुमोदियमिति, तेण भणा-'अरिंसु बहं करेमि बई | करिस्सामि वऽहं' तत्थ करेसुं बह-सय कियं वा एवं कारावियं वा अणुमोदितं वा, एवं बमाणेऽवि करेमि कारवेमि अणुमोयामि, | अणागतेऽवि करिस्सामि कारबिस्सामि अणुमनिस्सामि, एएसि पुण नवण्हं पदाणं दो आदिपदा गहिया अंतिम च, अवसेसा पुण अणुतावि अस्थतो सहअंति, एवं जोगत्तियकरणत्तिएणं णवओ मेदो जोए नायबो, अतीतग्रहणा अतीताणि येव भवग्गह दीप अनुक्रम [१-१२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[१] "आचार" जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [18]
SR No.006201
Book TitleAagam 01 ACHAR Choorni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages388
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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